हिरन नदी : अतिक्रमण पर कार्रवाई क्यों लंबित? प्रशासन की मेहरबानी पर उठे सवाल

सीधी। शहर की हिरन नदी में वर्षों से चले आ रहे अतिक्रमण पर प्रशासन की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है। मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के अनुसार नदी-नालों के किनारे 15 मीटर का क्षेत्र पूरी तरह प्रतिबंधित रखा जाना चाहिए, लेकिन नियमों की अनदेखी कर वार्ड क्रमांक 19 चकदही में मकान सीधे नदी के अंदर बना हुआ है।

हिरन नदी की हालत लगातार बिगड़ती गई, और अतिक्रमण के चलते कई जगहों पर यह नदी अब नाली का रूप ले चुकी है। जनता की मांग और जनप्रतिनिधियों की पहल पर पिछले माह प्रशासन ने नदी का सीमांकन कर अतिक्रमण की सूची भी तैयार कर ली, जिसे तहसीलदार के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। परंतु महीनों बाद भी कार्रवाई नहीं हो सकी, जिससे लोगों में नाराजगी बढ़ रही है।

राजपत्र और नगरीय प्रशासन के नियमों के अनुसार नदी किनारे किसी भी प्रकार का निर्माण सख्त मना है। फिर भी अतिक्रमणकारियों पर कोई कार्रवाई न होना प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है।

क्या कहता है राजपत्र का नियमन-

राजपत्र एवं नगरीय प्रशासन के मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम 2012 के अनुसार नदी-नालों की सुरक्षा को लेकर विशेष प्रावधान निर्धारित किये गये हैं। हिरन नाला, सूखा नाला तथा तालाब के किनारे न्यूनतम 15 मीटर क्षेत्र खुला रखा जायेगा। प्रदूषित जल/मल किसी भी स्थिति नदी में प्रवाहित नहीं किया जावेगा। उक्त क्षेत्रों में अपने भवनों के व्यक्तिगत सेप्टिक टैंक को ग्रिड मल लाइन जब उसका निर्माण हो जाए तो उसको जोडऩा होगा। संबंधित क्षेत्र में आने वाले निर्मित भवनों के अच्छादित क्षेत्र में या एफएआर में पूर्व की स्वीकृति के अतिरिक्त वृद्धि स्वीकार नहीं होगी। नदियों की सुरक्षा एवं जल गुणवत्ता के सुधार एवं संरक्षण हेतु कार्य कराये जायेंगे।

शासन के नियम के विपरीत बने भवन का दोषी कौन…?

शासन के नियम के विपरीत आखिर शहर के नदी-नालों एवं प्राचीन जल स्त्रोतों के अंदर एवं तट पर बने भवनों का दोषी कौन है इसको लेकर लगातार सवाल उठ रहे हैं। चर्चा के दौरान कुछ जानकारों का कहना था कि पुराने नदी-नालों एवं जल स्त्रोतों पर अतिक्रमण करने की मुहिम सीधी शहर में करीब 4 दशक के ज्यादा समय से शुरू थी।

इनका कहना है

हिरन नदी की प्रतिबंधित सीमा क्षेत्र में बने भवनों की जांच तहसीलदार गोपदबनास एवं सीएमओ नगरपालिका परिषद सीधी से कराई जाएगी।

नीलेश शर्मा,एसडीएम गोपद बनास

मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता 1959 में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी नदी-नाले के किनारे बिना सक्षम अधिकारी के अनुमति के कोई भी निर्माण नही किया जा सकता है भले ही किसी के निजी पट्टे की भूमि हो। इस बारे में जांच उपरांत ही कोई कार्यवाही सुनिश्चित हो सकती है।

रविशंकर शुक्ला, हल्का पटवारी, कोतरकला गोपद बनास सीधी

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