
सतना.जिला पंचायत की गतिविधियों और प्रशासनीक उपेक्षा से उपज असन्तोष अब सदस्यों में आक्रोश का रूप ले चुका है.अपनी मांगों के समर्थन पर तालाबन्दी पर अड़े सदस्यो ने कहा कि आन्दोलन पंचायतीराज व्यवस्था को पटरी में लाने के उद्धेश्य से किया जा रहा है.वर्तमान परिस्थितियों में मुख्यमंत्री विभागीय मंत्री समेत समस्त अधिकारियों को जानकारी दी जा चुकी है.अभी तक समाधानकारक कोई पहल नहीं हुई इन परिस्थितियों में इसके अलावा कोई रास्ता ही नहीं है.दूसरी तरफ इस मामले में सांसद गणेश सिंह की अपील को भी सदस्यों ने खारिज कर दिया है.
आन्दोलन के पूर्व मीडिया से चर्चा करते हुए जिला पंचायत उपाध्यक्ष सुष्मिता सिंह परिहार,सभापति ज्ञानेन्द्र सिंह ज्ञानू,रमाकान्त पयासी,सुभाष बुनकर,संजय सिंह,रामसेवक पाल ने संयुक्त रूप से बताया कि जिला पंचायत की वर्तमान परिषद् अपना तीन साल कार्यकाल पूरा कर रही है.इसके बाद भी जिला पंचायत का अमला उनके साथ खानापूर्ति तक कार्यप्रणाली को सीमित रखे है.सदस्यों की ओर संयुक्त बात को रखते हुए सभापति श्री ज्ञानू ने बताया कि वर्तमान जिला पंचायत की मुख्य कार्यपालन अधिकारी का उनके प्रति व्यवहार ठीक नहीं है.सदस्यों के पत्र व्यवहार का कोई उत्तर नही दिया जाता है.सदस्यों की सिफारिश के साथ जिला पंचायत पहुचने वाले पंचायत प्रतिनिधियों के साथ र्दुव्यवहार किया जाता है.उन्होने बताया कि पिछले कुछ महीनों से उन्हे किसी सरकारी कार्यक्रम में शामिल होने की जानकारी नही दी जा रही है. कई वर्षों से विकास के नाम पर आयी धनराशि को मनमाने ढग़ से खर्च किया जा रहा है.सदस्यों की कोई सहमति नहीं ली जा रही है.हासिए में पहुच गए पंचायती राज में निर्वाचित जनप्रनिधियों का आए दिन अपमान कर पुलिस बुलाने की धमकी दी जा रही है.जिला पंचायत में अफसरशाही चरम पर है.सदस्यों व पदाधिकारियों के लिए कोई प्रोटोकाल नहीं है.निर्वाचित सदस्यों के साथ किए जा रहे भेदभाव को समाप्त करने के लिए आन्दोलन ही एक मात्र विकल्प है.
जिला पंचायत के आमंत्रित सदस्य पंकज सिंह परिहार नेबताया कि शिक्षा समिति के माध्यम से जिन मामलों को कार्यवाही या जांच के लिए सौंपा है.उनमें कभी कोई कार्यवाही नहीं की गई.जनमहत्व के विषय में इस प्रकार की लापरवाही स्पष्ट करती है कि अधिकारी सदस्यों की कही बातों को महत्व नहीं देते.
महज सात स्थिाई कर्मचारियों के भरोसें जिला पंचायत
संचार सकर्म समिति के सभापति ज्ञानेन्द्र सिंह ने बताया कि वर्तमान में 26 सदस्यों वाली जिला पंचायत में कुल 26 कर्मचारी कार्यरत हैं.जिसमें स्थाई कर्मचारियों की संख्या मात्र सात है.उन्होने बताया कि शेष 19 कर्मचारी जो संविदा में कार्यरत हैं.उन्हे तीन महीने से सेवावृद्धि नहीं होने के कारण वेतन नहीं मिल पा रहा है.कलेक्टर को ज्ञापन सौप उन्हे सेवावृद्धिकी कार्यवाही कराई है.
इसमें क्या है
सदस्यों का आरोप है कि जिला पंचायत में भ्रष्टाचार चरम पर है.स्थिति यह है कि अधिकारी कोई भी फाइल करने के पहले यह पूछते हैं कि इसमें क्या है.यानी जिन फाइलों में किसी प्रकार का व्यक्तिगत लाभ नहीं होता उनको रद्दी में डाल दिया जाता है.
