न फर्जीवाड़े का ठोस सबूत, न आधार की जांचः कोर्ट से बरी हुआ आरोपी

इंदौर. खुद को आईएएस अधिकारी बताकर धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार किए युवक को अपर सत्र न्यायाधीश जितेंद्र सिंह कुशवाह की अदालत ने दोषमुक्त करार दे दिया. पुलिस ने आरोपी के पास से कथित फर्जी आधार कार्ड और सिम जब्त करने का दावा किया था, लेकिन लचर विवेचना के चलते केस अदालत में टिक नहीं पाया. मामला लसूडिया क्षेत्र का है, जहां अंबाह जिला मुरैना निवासी रामदास सिंह गुर्जर के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय में पदस्थ पटवारी संतोष कुमार चौधरी की रिपोर्ट पर धोखाधड़ी की विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया था. आरोप था कि रामदास ने 10 जनवरी 2023 से 5 सितंबर 2023 के बीच खुद को दिल्ली में पदस्थ आईएएस अधिकारी अमित सिंह बताकर फरियादी को गुमराह किया.

विवेचना में ये बड़ी खामियां रहीं

कोर्ट ने अपने निर्णय में पुलिस जांच को कई स्तर पर कमजोर माना. फरियादी ने रिपोर्ट में कहा था कि नायब तहसीलदार नीतेश भार्गव ने खुद आरोपी का मोबाइल नंबर देते हुए उसे आईएएस अधिकारी बताया था, लेकिन पुलिस ने न तो नायब तहसीलदार को साक्षी बनाया, न ही उनके बयान कोर्ट में प्रस्तुत किए. यह अहम कड़ी जांच में शामिल ही नहीं की गई. इसके अलावा पुलिस ने जो आधार कार्ड आरोपी से जब्त किया था, उसकी फॉरेंसिक जांच भी नहीं कराई गई थी. कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी उल्लेख किया कि आधार कार्ड के नंबर के माध्यम से उसकी वैधता की पुष्टि करना सरल प्रक्रिया है, लेकिन विवेचक ने यह भी नहीं किया. इन सभी गंभीर खामियों के चलते आरोप प्रमाणित नहीं हो सके और कोर्ट ने आरोपी रामदास सिंह गुर्जर को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया.

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