भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान को एक साथ कड़ा संदेश दिया है.प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रपति ट्रंप को साफ बता दिया है कि भारत को कश्मीर मुद्दे पर किसी भी तरह की मध्यस्थता न कभी स्वीकार थी, न है और न ही कभी रहेगी. यह भारत की संप्रभुता और आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के खिलाफ एक दृढ़ रुख है. प्रधानमंत्री ने यह भी स्पष्ट कर दिया गया है कि भारत मजबूती के साथ ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जारी रखेगा. यह संदेश भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक हितों पर किसी भी बाहरी दबाव को स्वीकार न करने की उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. इसी तरह पाकिस्तान को अत्यंत कठोर शब्दों में चेतावनी दी गई है कि किसी भी आतंकवादी घटना को ‘एक्ट ऑ$फ वॉर’ (युद्ध की कार्रवाई) माना जाएगा. यह बयान आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ नीति और आवश्यकता पडऩे पर निर्णायक कार्रवाई करने की उसकी तैयारी को रेखांकित करता है.
यह तीनों संदेश एक साथ देकर प्रधानमंत्री मोदी ने वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त और स्वतंत्र विदेश नीति का प्रदर्शन किया है, जिसमें राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखा गया है.दरअसल,हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हुई 35 मिनट की बातचीत, जिसकी आधिकारिक जानकारी भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्त्री ने दी, ने एक बार फिर भारत की विदेश नीति की स्पष्टता, दृढ़ता और अब उसकी बढ़ती मुखरता को उजागर किया है. इस बातचीत में प्रधानमंत्री मोदी ने दो टूक शब्दों में स्पष्ट कर दिया कि भारत को कश्मीर मुद्दे पर किसी भी प्रकार की अमेरिकी मध्यस्थता स्वीकार नहीं है. यह सिर्फ एक कूटनीतिक बयान नहीं है, बल्कि भारत के संप्रभुता और राष्ट्रीय हितों के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है.
यह बयान ऐसे समय में आया है जब राष्ट्रपति ट्रम्प पहले भी कश्मीर पर मध्यस्थता की इच्छा व्यक्त कर चुके हैं.हालांकि, भारत का रुख शुरू से ही स्पष्ट रहा है कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है जिसे भारत और पाकिस्तान को मिलकर सुलझाना है. 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र ने इस सिद्धांत को पुष्ट किया है कि दोनों देश अपने सभी विवादों को द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करेंगे. किसी तीसरे पक्ष, विशेषकर अमेरिका की मध्यस्थता, इस संवेदनशील और जटिल मुद्दे को और उलझा सकती है.यह भारत की लंबी-चौड़ी नीति का भी हिस्सा है कि उसकी क्षेत्रीय अखंडता और आंतरिक मामलों में कोई बाहरी हस्तक्षेप स्वीकार्य नहीं है.दरअसल,भारत इस अटल नीति को दोहराता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस पर कोई भी बातचीत केवल द्विपक्षीय रूप से हो सकती है, लेकिन इस बार, यह बयान केवल एक दोहराव नहीं है; यह भारत की नई, अधिक आक्रामक विदेश नीति का एक सीधा प्रदर्शन है. यह भारत की आत्मनिर्भरता और अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाने की क्षमता में विश्वास को दर्शाता है. ट्रंप के साथ बातचीत यह भी दर्शाती है कि भारत अब केवल एक ‘नेटवर्क पार्टनर’ नहीं है, बल्कि एक ऐसा देश है जो अपने राष्ट्रीय हित में दृढ़ता से खड़ा हो सकता है, भले ही इसके लिए उसे अपने सबसे महत्वपूर्ण सहयोगियों को भी अपनी स्थिति स्पष्ट करनी पड़े. यह नए भारत की विदेश नीति का प्रतिबिंब है, जो बहु-ध्रुवीय विश्व में अपनी पहचान और स्थान को मजबूती से स्थापित कर रहा है और जहां आवश्यकता पडऩे पर वह अपने हितों की रक्षा के लिए एक सक्रिय और निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है. यह एक स्पष्ट संकेत है कि भारत अब केवल प्रतिक्रियावादी नहीं, बल्कि अपनी रणनीतिक स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए पहल करने वाला देश है.