इजरायली हमले के बाद इस्लामिक देशों में हलचल तेज; सऊदी अरब ने की ‘खुले आक्रमण’ की निंदा, ओमान और जॉर्डन ने ‘राजनयिक समाधान’ की वकालत करते हुए तनाव कम करने का किया आह्वान।
रियाद/मस्कट/अम्मान, 13 जून (वार्ता): इजरायल द्वारा ईरान के सैन्य और परमाणु प्रतिष्ठानों पर किए गए हमलों के बाद मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर है, और इस पूरे घटनाक्रम पर इस्लामिक देशों की प्रतिक्रियाएं बेहद महत्वपूर्ण हो गई हैं। सऊदी अरब, जो लंबे समय से ईरान का क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी रहा है, ने इजरायल के इस कदम को ‘खुला आक्रमण’ बताते हुए ईरान के प्रति ‘भाई जैसा’ समर्थन व्यक्त किया है। यह प्रतिक्रिया भू-राजनीतिक समीकरणों में एक बड़ा बदलाव दर्शाती है।
सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “सऊदी अरब साम्राज्य इजरायल के इस्लामिक गणराज्य ईरान के खिलाफ किए गए blatantly आक्रामकता की कड़ी निंदा करता है, जो उसकी संप्रभुता और सुरक्षा को कमजोर करता है और अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन है।” यह बयान रियाद और तेहरान के बीच 2023 में हुए सुलह के बाद आया है, और यह दिखाता है कि क्षेत्र में इजरायल के खिलाफ एक एकजुट मोर्चा बन सकता है। वहीं, ओमान, जो अमेरिका और ईरान के बीच अप्रत्यक्ष वार्ता की मेजबानी कर रहा है, ने भी गहरी चिंता व्यक्त की है। ओमान के विदेश मंत्री बदर बिन हमद बिन हमूद अलबुसैदी ने इजरायल को इस ‘बढ़ते तनाव’ के लिए जिम्मेदार ठहराया और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से ‘एक दृढ़ और स्पष्ट रुख अपनाने’ का आह्वान किया ताकि इस खतरनाक राह को रोका जा सके। जॉर्डन ने भी तुरंत अपने हवाई क्षेत्र को सभी उड़ानों के लिए बंद कर दिया और तनाव बढ़ने की आशंका पर चिंता व्यक्त की, जबकि अम्मान ने कसम खाई कि वह अपने हवाई क्षेत्र के किसी भी उल्लंघन की अनुमति नहीं देगा। इन प्रतिक्रियाओं से स्पष्ट है कि यह संघर्ष केवल ईरान और इजरायल तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र में इसके गहरे और दूरगामी परिणाम हो सकते हैं, जिससे शांति और स्थिरता पर खतरा मंडरा रहा है।

