नयी दिल्ली, 11 जून (वार्ता) भारत ने अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) से कार्यस्थल पर श्रमिकों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के लिए जैविक खतरों की परिभाषाओं को आवश्यकता से अधिक व्यापक बनाने के प्रति आगाह किया है।
भारत ने कार्यस्थल पर सुरक्षा के मामले में श्रेणी-बद्ध और जोखिम के स्तर के अनुसार ऐसी रणनीति अपनाये जाने की सिफारिश की है, जो कामकाज की दृष्टि से व्यावहारिक हो।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने जेनेवा में आयोजित आईएलओ के 113वें अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन के पूर्ण अधिवेशन को संबोधित करते हुये कहा कि भारत श्रमिकों की सुरक्षा की महत्वपूर्ण आवश्यकता की वकालत करता है, लेकिन जैविक खतरों के संबंध में अत्यधिक व्यापक परिभाषायें अपनाने के प्रति आगाह करता है, जो कार्यस्थल के बंदोबस्त से बाहर की व्यवस्थाओं को प्रभावित करते हों। जेनेवा में इस त्रिपक्षीय अंतराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में श्रमिकों को जैविक खतरों से बचाने, प्लेटफ़ॉर्म अर्थव्यवस्था में श्रमिकों के लिए सुसभ्य व्यवस्था को प्रोत्साहित करने और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने की अभिनव रणनीतियों पर विचार किया जा रहा है।
मंत्रालय की बुधवार को जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्री मांडविया ने अधिवेशन में यह भी कहा कि भारत कार्यस्थल
पर जोखिमों के निवारण के लिए ऐसी श्रेणीबद्ध, जोखिम-स्तरीय रणनीति अपनाने की सिफारिश करता है, जिसमें श्रमिक-सुरक्षा और परिचालन की वास्तविकताओं के बीच संतुलन का ध्यान रखा गया हो।
श्रम मंत्री ने भारत की ओर से बैठक में वैश्विक मानक निर्धारित करते समय विभिन्न देशों की विविधताओं को ध्यान में रखने और उन्हें समायोजित करने का आग्रह भी किया।
श्री मांडविया ने सम्मेलन में बताया कि भारत की बेरोजगारी दर 2017 के छह प्रतिशत से घटकर 2024 तक 3.2 प्रतिशत पर आ गयी और इन सात वर्षों में औपचारिक क्षेत्र में 7.5 करोड़ से अधिक नौकरियों अवसर सृजित किये गये हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा शुरू की गयी लगभग 12.81 अरब डॉलर की रोजगार से जुड़ी प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना से भारत में औपचारिक क्षेत्र में रोजगार सृजन को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा कि भारत में वैश्विक बाजार में नौकरी की मांगों को एकत्रित करने और अंतरराष्ट्रीय श्रम गतिशीलता को सुविधाजनक बनाने के लिए राष्ट्रीय कैरियर सेवा (एनसीएस) पोर्टल का लाभ उठाया जा रहा है।
श्रम मंत्री ने बताया कि भारत में भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज 2019 में 24.4 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 2025 में 64.3 प्रतिशत हो गया है। देश में भारत में 94 करोड़ लोगों को किसी न किसी प्रकार की सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि ई-श्रम पोर्टल पर 30 करोड़ से अधिक असंगठित श्रमिकों ने पंजीकरण कराया है, जिससे लक्षित लाभ और सामाजिक सुरक्षा कवरेज का मार्ग प्रशस्त हुआ है।
श्री मंडाविया ने कहा कि भारत श्रमिकों के लिए काम के सुसभ्य अवसर, सामाजिक न्याय और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के बारे में आईएलओ की तय व्यवस्थाओं के प्रति प्रतिबद्ध है।
श्रम मंत्री ने कहा, “ मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि आज दुनिया जिस गंभीरता से प्लेटफॉर्म इकोनॉमी पर चर्चा कर रही है। भारत ने गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को मुख्यधारा में लाने के लिए ठोस कदम उठाये हैं। भारत के गिग कार्यबल के 2030 तक 2.35 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, हमें इस क्षेत्र को परिभाषित करने वाले लचीलेपन को बनाये रखना चाहिए। ”
