उज्जैन: मोक्षदायनी माँ शिप्रा में बरसात का जल एकत्रित करने के लिए सिलारखेड़ी सेवर खेड़ी डेम पर योजना बनाई जा रही है, ऐसे में आशंका है कि यदि समय रहते बारिश के पहले 16 गंदे नालों की सफाई नहीं की गई तो शिप्रा नदी का जल प्रदूषित हो सकता है.बे -मौसम बरसात ने पहले ही जीना मुहाल कर रखा था, जब भीषण गर्मी का मौसम था तो बरसात होने लगी और अब जब बरसात का समय शुरू हो गया है तो गर्मी अपना प्रकोप जमकर दिखा रही है. उज्जैन में हालात और भी बदतर है, यहां धड़ल्ले से निर्माण कार्य के लिए जो गड्ढे खोदे गए हैं, वह भी मुसीबत का कारण बरसात के दौरान बन सकते हैं, वहीं 16 गंदे नालों की सफाई जिस युद्ध स्तर पर होना चाहिए थी वह नहीं हो पाई है.
यही सही समय है…
यही समय है सही समय है. जब बरसात के पहले बड़े गंदे नालों से लेकर छोटी नालियां साफ की जा सकती है जो कचरा व मलबा फंसा हुआ है. वह संसाधनों के माध्यम से बाहर करना होगा, वरना बरसात में नालियां और नाले चौक होकर पूरे शहर में गंदगी फैलाएंगे.
दुर्गंध और गंदगी से बीमारी
खुले गंदे नाले-नालियों की वजह से कालोनियों में दुर्गंध फैल रही. बीमारियों का खतरा बढ़ रहा. प्रभावित क्षेत्र के लोगों का कहना है कि हम सालाना हाउसिंग टैक्स जमा करते हैं मगर सड़क-नालियों की नियमित सफाई नहीं होती. जैसी सफाई महाकाल, गोपाल मंदिर, फ्रीगंज क्षेत्र में होती है, वैसी देवास रोड, इंदौर रोड, आगर रोड से जुड़ी भीतर की कालोनियों में नहीं होती, यही हाल फ्रीगंज क्षेत्र कॉलोनीयों के हैं.
लगातार हो रही सफाई
नगर निगम के माध्यम से सभी 54 वार्डों में लगातार साफ-सफाई अभियान चलता रहता है. बरसात के पहले बड़े नाले नालियों की भी सफाई की जा रही है. यह कार्य पहले से ही प्रारंभ है. यदि कहीं ज्यादा आवश्यकता है तो वह कार्य भी कर लिया जाएगा. कोई भी नाले स्वच्छता अभियान से छूटेंगे नहीं.
संजेश गुप्ता, उपायुक्त ,नगर निगम