जबलपुर: बलात्कार पीडिता 14 साल बच्ची के साढ़े सात माह की गर्भपात होने के मामले को गंभीरता से लिया है। हाईकोर्ट जस्टिस दीपक खोत की अवकाश कालीन बेंच ने बच्ची के गर्भवती होने की सूचना देने में लापरवाही के मामले से राज्य सरकार को आवष्यक विवरण के साथ केस डायरी पेश करने के निर्देश दिये है। जिससे बच्ची के गर्भपात तथा दोषियों के खिलाफ कार्यवाही पर निर्णय लिया जा सके।
बालाघाट जिला न्यायालय ने बलात्कार पीडित 14 वर्षीय बच्ची के गर्भपात की अनुमति के लिए हाईकोर्ट को पत्र लिखा था। हाईकोर्ट को पत्र 26 मई को प्राप्त हुआ था। पत्र के साथ सिविल सर्जन की रिपोर्ट में दुष्कर्म की रिपोर्ट थाने में कब दर्ज हुई, इसका कोई उल्लेख नहीं था। जिसे एकलपीठ ने गंभीरता से लेते हुए अपने आदेश में कहा है कि बलात्कार पीडिता के गर्भवती होने के संबंध में गर्भपात के लिए हाईकोर्ट ने 20 फरवरी 2025 को पारित आदेश में गाइडलाइन निर्धारित की है।
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बलात्कार के कारण पीडित के गर्भवती होने की सूचना थाना प्रभारी द्वारा आवष्यक रूप में संबंधित न्यायालय को प्रदान की जायेगी। नाबालिग रेप पीड़िता 24 हफ्ते (करीब 6 महीने) से ज्यादा गर्भवती हो, तो गर्भपात के लिए हाईकोर्ट से मार्गदर्शन लेना होगा। यह आदेश सभी जिम्मेदार विभागों को दिया गया था।
बच्ची 7 महीने से अधिक अवधि से गर्भवती है। एकलपीठ ने राज्य सरकार को निर्देषित किया है कि सभी आवश्यक विवरण और केस डायरी के साथ रिपोर्ट पेश करें की किन परिस्थितियों में नाबालिग लड़की को साढ़े सात महीने का गर्भ समाप्त करने में देरी हुई। रिपोर्ट अगली सुनवाई या उससे पहले दाखिल की जाए। जिससे नाबालिग लड़की के गर्भ को समाप्त करने के लिए उचित निर्देश जारी किए जा सकें और लापरवाही करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जा सके।
