प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में लाभार्थी वोट बैंक को बड़ा मुद्दा मान रही है. लाभार्थी वोट बैंक का मतलब उन लोगों के मतों से है,जिन्हें केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं से फायदा मिला है. इस कड़ी में भाजपा केंद्र सरकार द्वारा जारी सूर्योदय योजना को भी गेम चेंजर मान रही है. सूर्योदय योजना के तहत 1 करोड लोगों को मुफ्त बिजली मिलने का वादा किया गया है.पर्यावरणीय संकट और महंगे होते ऊर्जा संसाधनों के विकल्प के रूप में स्वच्छ ऊर्जा, खासकर सौर ऊर्जा दुनिया में पहली पसंद बनी है, गरीब के घर को रोशन करने वाला यह प्रयास भी शुरू हुआ है. भारत ने भी तेजी से इस दिशा में कदम बढ़ाए हैं.इन्हीं रचनात्मक प्रयासों के चलते आज देश में सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता 73 गीगावॉट तक हो गई है. नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के अनुसार दिसंबर, 2023 तक भारत में रूफटॉप सोलर क्षमता लगभग 11.08 गीगावॉट है. विश्व ऊर्जा की जरूरतों की निगरानी करने वाली संस्थाएं बता रही हैं कि आने वाले तीन दशक में दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले भारत में ऊर्जा की मांग में सबसे ज्यादा वृद्धि होने वाली है.ऐसे में जरूरी हो जाता है कि हम इस चुनौती के मुकाबले के लिये ऊर्जा के नये स्रोतों को तलाशें. निस्संदेह, नवीकरणीय ऊर्जा इसका बेहतर विकल्प हो सकता है.देश में थर्मल और जल विद्युत परियोजनाएं के नफे-नुकसान को देखते हुए स्वच्छ ऊर्जा ही कारगर विकल्प बचता है.यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूर्योदय योजना की शुरुआत करने की घोषणा की.जिसका मकसद समाज के कमजोर वर्गों को बिजली के बिल से राहत दिलाने के साथ ही स्वच्छ ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देना भी है.
इस योजना का उद्देश्य देश को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना है.इस योजना के तहत गरीबों व निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों का बिजली का खर्च घटाने के मकसद से देश के एक करोड़ घरों पर रूफटॉप सोलर पैनल लगाने का फैसला किया है.कहा जा रहा है कि सूर्य के ताप से ऊर्जा हासिल करने के लिये लगाए जाने वाले पैनल के उपयोग से बिजली के बिल में कमी आएगी, जिससे लोगों को आर्थिक राहत मिल सकेगी. यूं भी देश में मुफ्त बिजली देना बड़ा राजनीतिक मुद्दा रहा है, जिसका नकारात्मक प्रभाव बिजली विभाग की क्षमता पर पड़ता है. दरअसल सूर्योदय अभियान के तहत एक करोड़ लोगों की छतों पर सोलर प्लांट लगाए जाएंगे, जिनके लिए सब्सिडी और आसान कर्ज देने की व्यवस्था रहेगी. जो योजना बताई गई है उसके अनुसार कोई भी परिवार 30,000 रुपए खर्च करके 300 यूनिट तक बिजली प्रति माह सोलर ऊर्जा से पैदा कर सकता है. जाहिर है यह बेहद ही किफायती और ऐसी योजना है जिसका लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों द्वारा उठाए जाने की उम्मीद है.रूफटॉप सोलर पैनल खासा किफायती है. इसकी लागत केवल पैनल लगाने के वक्त एक बार ही आती है. बाद में इसके संचालन में बेहद कम ही खर्च आता है. इस योजना का मकसद जहां लोगों को आर्थिक राहत देना है, वहीं देश में बिजली उत्पादन को बढ़ावा देना भी है. इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये देश की जो अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएं हैं, उनमें भी यह पहल सहायक बनती है.कहीं न कहीं सरकार का मकसद इस योजना के जरिये राजनेताओं की मुफ्त की रेवडय़िा बांटने की प्रवृत्ति पर लगाम लगाना भी है. सरकार को विश्वास है कि गरीब के घर को रोशन करने वाला यह प्रयास सार्थक साबित होंगे. कुल मिलाकर सूर्योदय योजना का व्यापक तौर पर स्वागत किया जाना चाहिए. इस संबंध में लोगों में जागरूकता पैदा कर इसका व्यापक प्रचार प्रसार भी किया जाना चाहिए.