सजां माता पर्व के विषय में नई पीढ़ी को हाई स्कूल में जानकारी दी गई और इसके प्राकृतिक महत्व के विषय में बताया गया 

नवभारत

बागली। मालवा और निर्माण में विशेष कर श्राद्ध पक्ष के 16 दिन तक माता पार्वती के शादी स्वरूप को कुंवारी कन्याओ द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दौरान प्रथम दिन से आखिरी दिन तक शादी समारोह में शामिल होने वाले सभी उत्सव दीवार पर गोबर की कलाकृति बनाते हुए मनाया जाताहै। शाम होते ही सजां माता के गीत गाकर संजा माता को याद किया जाता है उसके ससुराल बीदा होने के विषय में उसके पति और बच्चों से मिलने वाली खुशी को लोक संस्कृति गीत के रूप में गया जाता है। बागली कन्या हाई स्कूल में सोमवार को स्कूल में अध्यनरत छात्राओं द्वारा स्कूल की दीवार पर बड़े स्वरूप में सजां माता के स्वरूप को बनाया। इस दौरान शिक्षिका निशा योगी लता वर्मा सरोज जोहरी मेघा यादव मनीषा सोलंकी सहित अध्यनरत छात्राएं विशेष रूप से उपस्थित रही। संस्था प्रभारी वासुदेव जोशी ने सजां माता परंपरा को प्रकृति संरक्षण परंपरा बताते हुए कहा कि वास्तव में ग्रामीण क्षेत्र में श्राद्ध पक्ष के 16 दिन तक गाय के गोबर से दीवार पर विभिन्न आकृति बनाई जाती हे। आसपास लगे पुष्पों को तोड़कर आकृति को सजाया जाता हे। ऐसा करने से नई पीढ़ी प्रकृति के स्वरूप को पहचानती और नए-नए पुष्प एकत्रित करते हुए उनकी पहचान करती। शाम के समय सभी सहेली एकत्रित होकर सजां माता के गीत गाकर हंसी मजाक के साथ इस पर्व को मानती है। यह हमारी संस्कृति है और गाय माता से लगाव तथा पर्यावरण से लगाव बना रहता है। प्रसाद में मौसम में आने वाली स्वादिष्ट वस्तु मूंगफली भुट्टे कड़ी फ्रूट खीर आदि का उपयोग किया जाता है।

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