पंचांग 23 मई 2025:-
रा.मि. 02 संवत् 2082 ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी भृगुवासरे शाम 6/11, उत्तराभाद्रपद नक्षत्रे दिन 12/11, प्रीति योगे दिन 3/20, वव करणे सू.उ. 5/19 सू.अ. 6/41, चन्द्रचार मीन, पर्व- अचला एकादशी व्रत, शु.रा. 12,2,3,6,7,10 अ.रा. 1,4,5,8,9,11 शुभांक- 5,7,1.
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आज जिनका जन्म दिन है-
उनका आगामी वर्ष- शुक्रवार 23 मई 2025
वर्ष केप्रारंभ में अचानक धन लाभ का योग है, आत्मविश्वास में वृद्धि होगी, वर्ष के मध्य में राजनैतिक क्षेत्र में विवाद के कारण मन खिन्न रहेगा, साझेदारी में विवाद बढ़ेगा, धन संकट का सामना करना होगा, वर्ष के अन्त में व्यक्तिगत संबंधों मेंसुधार होगा, मित्रों के सहयोग से लाभ होगा.
मेष और वृश्चिक राशि के व्यक्तियों से धन संकट का सामना करना पड़ेगा, वृष और तुला राशि के व्यक्तियों का साझेदारी में विवाद बढ़ेगा, कर्क राशि के व्यक्तियों को मित्रों का सहयोग, व्यापार मं वृद्धि होगी, मिथुन और कन्या राशि के व्यक्तियों को सहयोग प्राप्त होगा, सिंह राशि के व्यक्तियों को राजनैतिक मित्रों की मदद मिलेगी, धनु और मीन राशि के व्यक्तियों को निजी पुरूषार्थ की प्राप्त होगी, मकर और कुंभ राशि के व्यक्तियों को मित्रों का सहयोग रहेगा.
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आज का भविष्य – शुक्रवार 23 मई 2025
आज जन्म लिये बालक का फल-
आज जन्म लिया बालक स्वस्थ्य सुन्दर हष्टपुष्ट और प्रसन्नचित्त रहेगा. स्वाभिमानी ओर कुशाग्र होगी. समाज में इनकी अच्छी प्रतिष्ठा रहेगी. साहसपूर्ण कार्यो में रूचि रहेगी. माता पिता का भक्त होगा. धार्मिक भावना सीमित रहेगी.
मेष- युवाओं को बेहतर सफलता मिलेगी. नई जिम्मेदारी आने से परेशान हो सकते हैं. रूके धन की वसूली होगी. अपने कार्यो का गुप्त रखें.
वृषभ- आकस्मिक लाभ के अवसर मिलेंगे. कार्य कुशलता का विकास होगा. निजी मामलों में व्यस्तता रहेगी. किये गये प्रयास सफल होंगे.
मिथुन- जीवनसाथी के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित रह सकते है. व्यापार में अधिक जोखिम न उठायें. कार्यक्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी. लाभ होगा.
कर्क- आकस्मिक यात्रा करना पड़ सकती है. नवीन कार्य प्रारंभ होगा. शारीरिक शिथिलता रहेगी. अविवाहित को विवाह प्रस्ताव मिल सकता है.
सिंह- भूमि भवन के क्रय-विक्रय से लाभ होगा. उच्चाधिकारियों एवं प्रतिष्ठितजनों से मेलजोल, संपर्क बढे्गा. वाहन आदि चलाते समय सावधानी रखें.
कन्या- मेहमानों के कारण निर्धारित कार्यक्रम में बदलाव करना पड़ सकता है. किसी धार्मिक व्यक्ति से मुलाकात होगी. मांगलिक कार्य बनेंगे. खर्च अधिक होगा. परिश्रम की अधिकता रहेगी.
तुला- आवेश में आकर कोई भी कार्य न करें. उत्खनन के कार्यो में लाभ होगा. जतुला जायजाद से संबंधित विवाद हो सकता है. हितचिंतक की सलाह लें.
वृश्चिक- घर परिवार में किसी उत्सव का सुख मिलेगा. आर्थिक विकास हो सकता है. सम्मान मिलेगा. गलत बदलाव से बचें.
धनु- वाहन प्रयोग करते समय सावधानी रखें. अनावश्यक विवादों को न बढ़ायें. मनोवांछित कार्य पूर्ण होने से मानसिक प्रसन्नता रहेगी.
मकर- उच्च अध्ययन पर विचार होगा. संतान की ओर से प्रसन्नता रहेगी. प्रभावशाली व्यक्तियों की मदद मिलेगी. लाभ होगा.
कुम्भ- नया घर या दुकान खरीदने का मन बन सकता है. निजी कार्यों पर तुरन्त निर्णय लें. परिश्रम अधिक करना पड़ सकता है. प्रिय सूचना मिलेगी.
मीन- बुजुर्गों के स्वास्थ्य की चिन्ता रहेगी. आय की अपेक्षा व्यय अधिक होगा. परिश्रम एवं लगन से कार्य करें. सफलता मिलेगी.
व्यापार-भविष्य:
ज्येष्ठ कृष्ण एकादशी को उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के प्रभाव से सोना चांदी के भाव में 40 रूपये तक की तेजी होने की संभावना है. तांबा, सूत, उॅनी वस्त्र में कुछ मंदी की संभावना है. गुड़ खांड़, शक्कर में स्थिति ठीक रहेगी. वायदा विचार आज दिन पिछले सप्ताह के बने भाव घटें, उसी में स्थिति सुधरेगी. भाग्यांक 9254 है.
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संपादकीय
माओवाद के विरुद्ध निर्णायक युद्ध !
छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ के घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने जो पराक्रम दिखाया है, वो केवल एक सैन्य सफलता नहीं, भारत की आत्मा को घायल करने वाली हिंसक विचारधारा के विरुद्ध एक सशक्त प्रतिघात है. डेढ़ करोड़ के इनामी, कुख्यात माओवादी बसव राजू समेत दो दर्जन से अधिक उग्रवादियों का खात्मा यह सिद्ध करता है कि अब राष्ट्र माओवाद के आतंक के विरुद्ध निर्णायक मोड़ पर है. बसव राजू कोई साधारण विद्रोही नहीं था,वह एक प्रशिक्षित गुरिल्ला योद्धा था, जिसने वर्षों तक सुरक्षा बलों को छकाया और अनेक जवानों की आहुति ली.
यह विजय सिर्फ एक अभियान की समाप्ति नहीं, बल्कि उस अंधेरे विचार के अवसान की शुरुआत है, जो बंदूक की नली से सत्ता छीनने का स्वप्न देखती रही है. आज के माओवादी लोकतंत्र, संविधान और न्याय व्यवस्था को खारिज करते हुए स्वयं को ‘जन क्रांतिकारीÓ कहलाना चाहते हैं, जबकि वस्तुत: वे आधुनिक समय के हिंसक आतंकवादी बन चुके हैं.
माओवाद की इस हिंसक शाखा की जड़ें 1967 के नक्सलबाड़ी आंदोलन में हैं, जब चारु मजूमदार, जंगल संथाल और कानू सान्याल ने बंगाल की भूमि पर सामंती शोषण के विरुद्ध सशस्त्र प्रतिरोध का आरंभ किया. उनका आंदोलन सामाजिक विषमता के विरुद्ध था, जिसकी पृष्ठभूमि में क्रांति की पुकार थी.किंतु समय बीतने के साथ यह आंदोलन अपने उद्देश्य से भटक गया. आज का माओवादी न शोषितों का रक्षक है, न समाज का सुधारक—बल्कि लोकतंत्र को रौंदने वाला एक अराजक हिंसक चेहरा है. ऐसी परिस्थिति में केंद्र सरकार का माओवाद के पूर्ण उन्मूलन का संकल्प स्वागत योग्य और आवश्यक है.केंद्रीय गृहमंत्री द्वारा मार्च 2026 तक माओवादी आतंक के समूल नाश की बात, केवल वक्तव्य नहीं, एक राष्ट्रीय प्रतिज्ञा बन चुकी है.’ऑपरेशन सिंदूरÓ जैसी कार्रवाइयों ने इस दिशा में सफलता का मार्ग प्रशस्त किया है. बीते एक वर्ष में बड़ी संख्या में माओवादी मारे गए हैं और कई आत्मसमर्पण कर चुके हैं। यह दबाव बना रहना चाहिए,लेकिन केवल बल से नहीं, विकास से भी. दरअसल,हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि माओवाद की भूमि सामाजिक अन्याय और आर्थिक उपेक्षा रही है. यदि इन विषमताओं की गहराई को न समझा गया, तो हिंसा भले दब जाए, असंतोष की चिंगारी फिर भड़क सकती है.अत: हमें ‘बंदूक और विकासÓ दोनों की समांतर रणनीति अपनानी होगी. सुदूर आदिवासी अंचलों में शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और सम्मानजनक जीवन की सुविधाएं सुनिश्चित की जाएं. जब तक आदिवासी को यह भरोसा नहीं होगा कि लोकतंत्र उसके अधिकारों की रक्षा करता है, तब तक, नक्सलवाद के विरुद्ध कोई भी कार्रवाई अधूरी ही रहेगी. साथ ही उन ‘अर्बन नक्सल’ तत्वों से भी सतर्क रहना होगा, जो छद्म मानवतावाद की आड़ में माओवादियों के लिए वैचारिक सहानुभूति गढ़ते हैं.ऐसे तत्व राष्ट्रविरोधी हिंसा को ‘क्रांति’ का नाम देकर जनमत को भ्रमित करते हैं. यह स्पष्ट समझने की आवश्यकता है कि आज का माओवादी गरीबों और वंचितों का नहीं, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक आत्मा का शत्रु है.जाहिर है,इस समय आवश्यकता है दृढ़ इच्छाशक्ति, गहन संवेदना और विवेक युक्त कठोरता की. विकास और न्याय के साथ जब हमारी केंद्र और राज्य सरकारें माओवाद को जड़ से उखाड़ फेंकेंगी, तभी अबूझमाड़ की यह हुंकार संपूर्ण भारत की विजय गाथा बन पाएगी. बहरहाल,यह सबसे अच्छी बात है कि माओवादी अब केवल छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के दो-तीन जिलों तक सिमट कर रह गए हैं. इसका मतलब जल्दी ही लाल आतंक मुक्त भारत की अवधारणा फलीभूत होने वाली है.