जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट के जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने उपार्जन केंद्रों से कम्प्यूटर आपरेटरों की सेवाएं पृथक करने के मामले में जवाब-तलब किया है। इस संबंध में कलेक्टर रीवा सहित अन्य को नोटिस जारी किए गए हैं।
याचिकाकर्ता रीवा निवासी विनय मिश्रा सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता असीम त्रिवेदी, विनीत टेहेनगुरिया, शुभम पाटकर व आनंद शुक्ला ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि राज्य शासन की उपार्जन नीति के अंतर्गत उपाजर्न केंद्रों में संलग्न कम्प्यूटर आपरेटरों को उपार्जन प्रक्रिया से पृथक व प्रतिबंधित कर दिया गया है। दरअसल, उपार्जन नीति के अनुसार उपार्जन में संलग्न सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से याचिकाकर्ताओं को उपार्जन केन्द्रों में कम्प्यूटर आपरेटर के पद पर संविदा में संलग्न किया था। कलेक्टर रीवा के द्वारा आलोच्य आदेश के माध्यम से यह कारण इंगित करते हुए कि खरीफ विपरण वर्ष में समर्थन मूल्य पर धान उपार्जन हेतु किसानों के पंजीयन मनमाने तरीके से निरस्त कर दिए गए हैं। इसके साथ ही गेंहूं उपार्जन में अनियमितता के आरोपित कम्प्यूटर आपरेटर पुन: उपार्जन केंद्रों में पदस्थ होकर उपार्जन में अनियमितता कर सकते हैं, इस आशंका के साथ याचिकाकर्ताओं को उपार्जन कार्य से पृथक किया गया है। याचिकाकर्ताओं के अनुसार उक्त आदेश बेबुनियाद आंशका से ग्रस्त है। एक सामान्य शिकायत के आधार पर ऐसा करना अनुचित है। आपत्ति का बिंदु यह भी है कि याचिका कर्ताओं को नैसर्गिक न्याय सिद्धांत के अनुरूप सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। संविदा मामलों में ऐसी मनमानी उचित नहीं। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिये है।