नयी दिल्ली, 01 मई (वार्ता) भारत के टियर 2, 3 और छोटे शहरों की महिला उद्यमियों में एक नई ऊर्जा और महत्वाकांक्षा दिखाई दे रही है। वे न केवल डिजिटल रूप से जागरूक हैं, बल्कि अपने व्यवसाय को विस्तार देने के लिए भी प्रतिबद्ध हैं। लेकिन वित्तीय संसाधनों, कारोबारी नेटवर्क और सार्वजनिक पहचान की कमी उनके रास्ते में अब भी बड़ी रुकावट बनी हुई है।
टाइड द्वारा जारी भारत वुमन एस्पिरेशन इंडेक्स 2025 के अनुसार, 70 प्रतिशत महिला उद्यमी वित्तीय, विपणन और डिजिटल कौशल को बेहतर बनाकर अपने व्यवसाय को आगे ले जाना चाहती हैं। महिलाएं अब आत्मनिर्भरता की दिशा में गंभीरता से कदम उठा रही हैं। हालांकि, इन आकांक्षाओं के बावजूद, चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 86 प्रतिशत महिलाएं किसी व्यावसायिक नेटवर्क से जुड़ी नहीं हैं, जिससे उन्हें मार्गदर्शन और सहयोग की बहुत सीमित पहुँच मिलती है। वहीं, 52 प्रतिशत महिलाओं को अब भी ऋण प्राप्त करने के लिए परिवार के पुरुष सदस्य की मदद लेनी पड़ती है। 49 प्रतिशत महिलाओं को यह भी लगता है कि उन्हें सार्वजनिक मंचों और मीडिया में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।
टाइड ने गैर-मेट्रो शहरों में 1,300 से अधिक नई और मौजूदा महिला व्यवसाय मालिकों का सर्वे किया। इनकी उम्र 18 से 55 साल के बीच थी। इस अध्ययन में भारत के टियर 2, 3 और उससे छोटे शहरों की महिला उद्यमियों की आकांक्षाओं और चुनौतियों को समझने की कोशिश की गई है, ताकि उनके सामने आने वाले अवसरों और चुनौतियों के बारे में पता लगा सकें।
रिपोर्ट के अनुसार 52 प्रतिशत महिलाएं रिटेल, ई-कॉमर्स, एडटेक जैसे डिजिटल रूप से घरेलू क्षेत्रों में काम करती हैं। केवल 12 प्रतिशत यानी हर 10 में से 1 से थोड़ा अधिक ने डिजिटल कौशल को प्रमुख प्राथमिकता माना जो उद्योग की जरूरतों और आत्मधारणा के बीच असंगति को दर्शाता है। 54 प्रतिशत महिलाओं को लगता है कि वित्तीय संस्थान उन्हें कम विश्वसनीय मानते हैं। 90 प्रतिशत व्यवसायों को जेन ज़ी और मिलेनियल उद्यमी चला रही हैं, जिनमें 83 प्रतिशत टियर 2 और उससे छोटे शहरों से हैं। इससे यह पता चलता है कि छोटे भारतीय शहरों से अधिक महिला उद्यमी सामने आ रही हैं।
