स्वयंसेवक से नेता बने सतीश शर्मा ऑडियो वायरल होने के बाद बीजेपी से निष्काषित 

सतना।दो साल जिले मेंं सफलतापूर्वक कार्य करने का परिणाम यह रहा कि पार्टी ने विधानसभा में संयुक्त जिले की सात में से पांच विधानसभा क्षेत्र में कब्जा किया.लोकसभा में भी लगातार पांचवी बार पार्टी को जीत मिली.इसके बाद स्वयंसेवक से नेता बनने की कोशिश में असफल रहे सतीश शर्मा को मामूली आडियो वायरल होने पर हुई एफ आई आर पर पार्टी ने कदाचरण का आरोप लगाते हुए निष्कासित कर दिया.

गौरतलब है कि संघ में अपनी लगन शीलता के कारण तृतीय वर्ग प्रशिक्षित होने के बाद के बतौर प्रचारक काम करने वाले सामान्य छवि के सतीश शर्मा जिस प्रयोग के तहत जिले के जिलाध्यक्ष बनाए गए वह भाजपा की अन्दरूनी राजनीति के कारण असफल साबित हुई.अध्यक्ष बनने के पूर्व कार्यालय मंत्री और उपाध्यक्ष का कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण करने के बाद भाजपा की स्थानीय गुटबाजी के चलते जिलाध्यक्ष का दायित्व प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् और प्रदेश के सह संगठन मंत्री के दौरान निभाए रिश्तों को महत्व देते हुए जिलाध्यक्ष का दायित्व सौप दिया.श्री शर्मा ने अपने राजनैतिक आकाओं के प्रति पूरी निष्ठा दिखाई और पार्टी के दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया.

विधानसभा चुनाव के दौरान अचानक सोशल मीडिया में उनका आडियो आ जाना फिर उस पर एफ आई आर दर्ज हो जाना.मड़ल अध्यक्षों की नियुक्ति में पक्षपात का आरोप लगना बाद में जिलाध्यक्षीय के दावेदारी से बाहर हो जाना.और अन्त में महिला के साथ अभद्रता की शिकायत पर पार्टी से निष्कासित कर दिया जाना किसी सुनियोजित कड़ी का हिस्सा ही कहा जा सकता है.हालांकि श्री शर्मा भाजपा के दूसरे जिलाध्यक्ष हैे.इसके पूर्व जिलाध्यक्ष रहे सुरेन्द्र सिंह बघेल के ऊपर भी महिला के साथ ज्यादती किए जाने का मामला नागौद थाने में दर्ज हो चुका है.

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