नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने राष्ट्रपति को पत्र भेजा, हस्तक्षेप की मांग
जबलपुर। मध्य प्रदेश सहित 18 हाईकोर्ट के जजों ने अपनी संपत्ति सार्वजनिक नहीं की है। देश के 75 प्रतिशत हाई कोर्ट जजों की संपत्ति का खुलासा करने पर अब तक निर्णय नहीं लिया गया है। इसे लेकर नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच जबलपुर ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर हस्तक्षेप की मांग की है।
मंच के अध्यक्ष डॉ पीजी नाजपांडे ने बताया कि पत्र में इस बात पर बल दिया गया है कि संपत्ति सार्वजनिक करने से पारदर्शिता आयेगी। संसद की विधि संबंधी समिति ने अगस्त 2023 में अनुशंसा की थी कि न्यायाधीशों को अपनी संपत्ति का खुलासा करना चाहिए। लिहाजा इस अनुशंसा को विचारार्थ लिया जाना चाहिये। पत्र में कहा गया है कि अब तक देश के 24 में से सिर्फ छह हाईकोर्ट के जजों ने अपनी संपत्ति का खुलसा बेवसाइट पर किया है। जबकि 75 प्रतिशत जजों ने इस सिलसिले में कदम नहीं उठाया है। दरअसल, हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट जजों के लिए बनाई गई सेवा शर्त नियम में उनके द्वारा संपत्ति घोषित करने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अपने जजों की संपत्ति सार्वजनिक करने का निर्णय लिया था। जिसके बाद 33 में से 30 जजों ने अपनी संपत्ति का खुलासा कर दिया था। इसके बाद भी हाईकोर्ट के जजों ने प्रेरणा नहीं ली। देश के विभिन्न हाईकोर्ट में पदस्थ 762 में से सिर्फ 95 जजों की ही संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक हो सका है।