सीहोर के कई गांवों में भीषण जलसंकट, प्यास बुझाने कर रहे पलायन

सीहोर। जिला मुख्यालय के नजदीकी ग्राम खामलिया के अधिकांश घरों पर ताले लटके हैं तो सड़कें व गलियां वीरान सी नजर आ रही हैं. पूछने पर बताया जा रहा है कि गांव में जलसंकट के भयावह हालातों ने उन्हें अपना आशियाना छोडऩे के लिए मजबूर कर दिया है. गांव के लगभग पचास से अधिक घरों के सदस्य प्यास बुझाने के लिए घरों से पलायन कर चुके हैं. इनमें से कई ने अपने खेतों पर डेरा जमा लिया है तो कई आसपास के शहरों में जाकर बस गए हैं.

जिला प्रशासन द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में जलसंकट से निपटने के लिए संबंधित विभाग को निर्देश दिए हैं, लेकिन यह धरातल पर नहीं उतर पा रहे. नतीजतन शहर की तरह या उससे कहीं अधिक जलसंकट जिले के कई गांवों में देखने को मिल रहा है. खाली बर्तनों के साथ पानी की तलाश में ग्रामीणों को खाली बर्तनों के साथ कोसों भटकना पड़ रहा है.

ऐसा ही एक गांव है जिला मुख्यालय का समीपवर्ती ग्राम खामलिया. लगभग तीन हजार की आबादी वाले इस गांव में यूं तो सड़क, बिजली और पानी की किल्लत सालों से विद्यमान है, लेकिन गर्मी के मौसम में सबसे अधिक दिक्कत पानी की होती है. गर्मी गहराने के साथ ही जलसंकट भी भयावह रूप लेने लगता है. इस साल भी गर्मी का असर बढऩे के साथ जलसंकट विकराल रूप धारण कर चुका है. लोगों को जरुरत के लिए पानी मिलना तो दूर, प्यास बुझाने लायक पानी भी नसीब नहीं हो पा रहा है. नतीजतन प्यास से व्याकुल अपने परिवार को देखते हुए ग्रामीण गांव से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं. खामलिया के लगभग 50 परिवार ऐसे हैं जिन्होंने पानी की कमी के चलते गांव छोड़ दिया. इनमें कुछ परिवार आसपास के शहरों में जाकर बस गए हैं तो कईयों ने अपने खेतों पर ही डेरा जमा लिया है.

ग्राम के युवा सरपंच कुलदीप सिंह राजपूत की मानें तो गांव में सालों से निर्मित पेयजल संकट को दूर करने के लिए उनके द्वारा जिला प्रशासन से लेकर संबंधित विभाग के अधिकारियों से कहा गया, लेकिन आज तक गांव की प्यास बुझाने के लिए इंतजाम नहीं किए जा सके हैं. ऐसे में ग्रामीण अपने घरों पर ताला लगाकर खेतों पर या अन्य शहरों में जाने को मजबूर हो गए हैं. इस संबंध में पीएचई के कार्यपालन यंत्री पीके सक्सेना के मोबाइल पर संपर्क साधने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली.

मंत्री द्वारा लिखे पत्र को भी तवज्जो नहीं

ग्राम में गहराए जलसंकट को देखते हुए ग्रामीणों द्वारा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के मंत्री से मिलकर समस्या का समाधान करने की मांग की गई थी. इसे गंभीरता से लेते हुए मंत्री द्वारा संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया गया था. इसके बाद पीएचई के जिम्मेदार हरकत में आए. कार्यपालन यंत्री द्वारा दो नवीन नलकूप खनन/हैंडपंप स्थापना कार्य के प्राक्कलन की तकनीकी स्वीकृति के लिए पत्र वरिष्ठ अधिकारियों को भेजा था. इस प्रक्रिया के एक पखवाड़े बाद भी मामला आगे नहीं बढ़ सका. जिसके चलते गांव में नलकूप खनन नहीं हो सका है और ग्रामीणों को परिवार के साथ पलायन करने मजबूर होना पड़ रहा है.

वस्तुस्थिति का पता लगाएंगे

मेरी जानकारी में नहीं था कि पानी की कमी के चलते ग्रामीण घर छोड़कर जा रहे हैं. आपने बताया है तो आज ही मैं संबंधित विभाग के अधिकारियों को गांव में भेजकर वहां की वस्तुस्थिति पता करूंगी. गांव में पेयजल की स्थायी व्यवस्था कराई जाएगी.

डॉ. नेहा जैन
सीईओ, जिला पंचायत

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