रीवा। मऊगंज जिले के शाहपुर थाना अन्तर्गत गडऱा गांव में घर के अंदर पिता-पुत्र और बेटी का शव फंदे में लटका हुआ शुक्रवार को मिला था. भारी तनाव के बीच पुलिस शवो को लेकर संजय गांधी अस्पताल रीवा पहुंची थी. जहा शनिवार की सुबह फारेंसिक विशेषज्ञ की मौजूदगी में डाक्टरो की टीम ने पोस्टमार्टम किया और शव लेकर जैसे ही एम्बुलेंस गांव पहुंची तो परिजनो ने एम्बुलेंस को घेर लिया और सीबीआई जांच की मांग पर अड़ गए. परिजनो ने कहा कि जब तक सीबीआई जांच की घोषणा नही की जाती तब तक अंतिम संस्कार नही करेगे. मौके पर कलेक्टर, एसपी के साथ भारी पुलिसबल मौजूद है, परिजनो को समझाइश दी गई। अंततः शाम तक परिजन SDOP के तबादले, घटना की मजिस्ट्रियल जांच और जिला प्रशासन की ओर से सीबीआई जांच के लिए वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देने के वादे पर अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए।
परिजनो का सीधा आरोप पुलिस पर है कि मारपीट के बाद शवो को फांसी पर लटका दिया गया है. पूरे गांव में पुलिसबल तैनात था तो फिर कैसे घर के अंदर फांसी लगा ली गई.
परिजनो ने काफी समय तक एसडीओपी अंकिता सूल्या को निलंबित करने की मांग बनाए रखी. लेकिन उन्हें रीवा भेजने पर परिजन माने। इधर,मौके पर कलेक्टर संजय जैन ने परिजनो को समझाइश देते हुए कहा कि मजिस्ट्रियल जांच का अधिकार हमारे पास है, मैं वह कर रहा हूं. आपकी सीबीआई जांच की मांग को मैं वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचाऊंगा. तब जाकर बात बनी।
पोस्टमार्टम के बाद जैसे ही गडऱा गांव शव पहुंचा तो परिजन एम्बुलेंस को घेर कर बैठ गए और पुलिस पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया. हिंसक घटना के बाद पुलिस लगातार लोगो को मार रही थी. मृतक के बेटे और बेटी ने एसडीओपी अंकिता सूल्या को निलंबित करने की मांग करते हुए कहा कि जब तक निलंबन की कार्यवाही नही होगी तब तक हम अंतिम संस्कार नही करेगे. परिवार की महिला ने आरोप लगाया कि एसडीओपी और पुलिसकर्मियो ने उनका मोबाइल छीन लिया और घर के अंदर भी नही घुसने दिया. पुलिस के प्रति परिजनो सहित ग्रामीणो में आक्रोश है.
आखिरी बार बेटी से हुई थी बात
मृतक औसेरी साकेत ने आखिरी बार अपनी बेटी से 17 मार्च को बात की थी. इसके बाद किसी का सम्पर्क नही हुआ. पुलिस लगातार दबिश दे रही थी, जिसके चलते गांव में लोगो ने एक दूसरे से बात करनी बंद कर दी थी. बेटी का आरोप है कि जब पिता से बात हुई तो उस समय वह रो रहे थे और बताया था कि पुलिस बहुत मारी है, पानी पीते नही बन रहा है. तुम लोग मत आना और न ही फोन पर बात करना. बेटी के मुताबिक पिता बहुत डऱे थे, 17 मार्च को क्या हुआ कुछ पता नही है. वही बेटे पवन ने भी पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है. चचेरे भाई
कई सवाल के घेरे में पुलिस
15 मार्च हिंसक घटना के बाद पूरा गांव पुलिस छावनी में तब्दील हो चुका था. यहा तक की गांव में प्रवेश करने वाले मार्ग को भी बंद कर दिया गया. चारो तरफ पुलिस का पहरा था उसके बाद कैसे तीन लोगो की मौत घर के अंदर फांसी लगाने से हो गई. क्या पुलिस यह नही देख रही थी कि कौन आ रहा है कौन जा रहा है. कितने घरो के दरवाजे बंद है, लोग निकल रहे है कि नही. जब पुलिस लगातार लोगो की तलाश का रही थी, पूरी बस्ती में घूम रही थी तो फिर औसेरी साकेत की खोज खबर क्यो नही ली. आश्चर्य की बात तो यह है कि जिस मकान में शव पाये गये उसी के सामने अस्थाई चौकी पुलिस ने बना रखी थी. जब परिवार घर के बाहर नही निकल रहा था तो पुलिस को क्यो भनक नही लगी. दूसरा पड़ोसियो ने भी खोज खबर क्यो नही ली, छोटे बच्चे घर में थे अंदर से दरवाजा बंद है कोई आ जा नही रहा तो कहा गए यह भी तो पड़ोसी पता कर सकते थे. पुलिस लगातार गांव में बनी हुई थी फिर इतनी बड़ी घटना कैसे हुई, कही न कही पुलिस भी सवालो के घेरे में है. परिजनो ने खुले तौर पर पुलिस पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है.
परिजनो के गैर मौजूदगी में किया गया पीएम
संजय गांधी अस्पताल रीवा में फारेंसिक विशेषज्ञो की मौजूदगी में डाक्टरो की टीम ने मृतक औसेरी साकेत, पुत्री मीनाक्षी और अमन के शव का पोस्टमार्टम शनिवार की सुबह किया. पीएम कराने परिजन नही पहुंचे थे, पुलिस पीएम कराने के पश्चात एम्बुलेंस से शव लेकर गडऱा गांव पहुंची. पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पायेगा कि मौत कैसे हुई. पीएम के दौरान अस्पताल में भारी पुलिसबल तैनात रहा.