भोपाल:प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक ने आज कहा कि सौरभ शर्मा मामला लोकायुक्त और सरकार की मिलीभगत का उदाहरण बनकर सामने आया है। पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा, जिसके पास से करोड़ों रुपये की अघोषित संपत्ति, 52 किलोग्राम सोना और 11 करोड़ से अधिक की नकदी बरामद हुई थी, को लोकायुक्त पुलिस की घोर लापरवाही के चलते विशेष लोकायुक्त अदालत से जमानत मिल गई।
उन्होंने कहा
निर्धारित 60 दिनों में चालान पेश न कर पाने की यह नाकामी कोई संयोग नहीं, बल्कि एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा प्रतीत होती है। इस पूरे प्रकरण में लोकायुक्त की संदिग्ध भूमिका और सरकार की चुप्पी जनता के सामने सच्चाई को उजागर कर रही है।इस हाईप्रोफ़ाइल मामले की जांच के दौरान लोकायुक्त निदेशक जयदीप प्रसाद का अचानक ट्रांसफर इस बात का पुख्ता प्रमाण है कि सरकार इस मामले को दबाने में जुटी है।
जयदीप प्रसाद, जिन्होंने सौरभ शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर छापेमारी की थी, को हटाना स्पष्ट करता है कि बड़े रसूखदारों को बचाने के लिए सरकार किसी भी हद तक जा सकती है। लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है। मध्यप्रदेश में लोकायुक्त और सरकार की मिलीभगत से भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने का सिलसिला लंबे समय से जारी है। जहां लोकायुक्त अधिकांश मामलों में भ्रष्टाचारियों को बचाने का काम करती है, वहीं कार्रवाई की इच्छा होने पर भी सरकार अभियोजन की अनुमति रोककर अपराधियों की ढाल बन जाती है।
नायक आज पीसीसी में पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे।उन्होंने कहा सौरभ शर्मा जैसे हाई-प्रोफाइल मामले में इसकी नाकामी ने साबित कर दिया कि लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), आयकर विभाग और अन्य एजेंसियों द्वारा सौरभ शर्मा के ठिकानों से बरामद बेशुमार संपत्ति के बावजूद जांच में ढिलाई, जयदीप प्रसाद का ट्रांसफर और निर्धारित समयावधि में चालान पेश न करना इस बात का संकेत है कि सरकार और लोकायुक्त मिलकर अपराधियों को खुली छूट दे रहे हैं। उन्होंने सरकार से
मांग की है कि
सौरभ शर्मा मामले की निष्पक्ष जांच हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की निगरानी में हो।
जबकि जयदीप प्रसाद के ट्रांसफर और समयावधि में चालान पेश नहीं करने के कारणों की भी विस्तृत जांच हो।
