वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता ही देश या समाज की प्रतिष्ठा बताती है: मुर्मु

नयी दिल्ली 21 मार्च (वार्ता) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने करुणा, समावेशिता और सद्भावना को भारतीय संस्कृति और सभ्यता के मूल्य करार देते हुए शुक्रवार को कहा कि वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता ही किसी देश या समाज की प्रतिष्ठा निर्धारित करती है।

श्रीमती मुर्मु दिव्यांगजनों की प्रतिभा, उपलब्धियों और आकांक्षाओं को मनाने के लिए आज अमृत उद्यान में एक दिवसीय ‘पर्पल फेस्ट’ आयोजन में शामिल हुई।

उन्होंने दिव्यांगजनों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखा। संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने कहा कि वंचित वर्ग के प्रति संवेदनशीलता ही किसी देश या समाज की प्रतिष्ठा निर्धारित करती है। उन्होंने कहा,“ करुणा, समावेशिता और सद्भावना हमारी संस्कृति और सभ्यता के मूल्य रहे हैं। हमारे संविधान की प्रस्तावना में सामाजिक न्याय, समान दर्जे और व्यक्ति की गरिमा की बात कही गई है।“ उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि सरकार सुगम्य भारत अभियान के माध्यम से दिव्यांगजनों को सशक्त बनाने और उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है।

कार्यक्रम में आगंतुकों के लिए दिन भर खेल, डिजिटल समावेशन और उद्यमिता पर कार्यशालाएं, एबिलिम्पिक्स, रचनात्मक कार्यक्रम तथा सांस्कृतिक उत्सव जैसी विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गईं।

केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित ‘पर्पल फेस्ट’ का उद्देश्य विभिन्न विकलांगताओं और लोगों के जीवन पर उनके प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा समाज में विकलांग व्यक्तियों की समझ, स्वीकृति और समावेश को बढ़ावा देना है।

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