चालू वित्त वर्ष में विकास दर 6.5 प्रतिशत रहेगी: आरबीआई बुलेटिन

नयी दिल्ली 20 मार्च (वार्ता) बढ़ते वैश्विक व्यापार तनाव और लगातार भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के दौर में, भारतीय अर्थव्यवस्था ने उल्लेखनीय लचीलापन और मजबूत विकास का प्रदर्शन किया है और चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 6.5 प्रतिशत रहेगी।

भारतीय रिजर्व बैंक के मार्च 2025 बुलेटिन में यह बात कही गयी है जो देश में अर्थव्यवस्था की स्थिति पर प्रकाश डालता है। नवीनतम डेटा-संचालित विश्लेषण अस्थिर वैश्विक पृष्ठभूमि के बीच घरेलू बुनियादी बातों की मजबूती को रेखांकित करता है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएँ बनी रहती हैं, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत खपत और सरकारी खर्च द्वारा समर्थित मजबूत विकास दिखाती है। मुद्रास्फीति कम हुई है, और नीतिगत उपायों ने बाजार की तरलता को स्थिर करने में मदद की है। हालाँकि, विदेशी पोर्टफोलियो बहिर्वाह और मुद्रा अवमूल्यन प्रमुख जोखिम बने हुए हैं।

एनएसओ के दूसरे अग्रिम अनुमानों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की जीडीपी में 6.5 प्रतिशत की वृद्धि होने का अनुमान है। तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 6.2 प्रतिशत रही जबकि दूसरी तिमाही में 5.6 प्रतिशत रही थी। विकास को गति देने वालाें में निर्माण, व्यापार और वित्तीय सेवाएँ क्षेत्र शामिल है।

इसमें कहा गया है कि निरंतर विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) बहिर्वाह ने शेयर बाजारों और रुपये पर दबाव डाला। हालांकि, घरेलू निवेशकों ने अपनी होल्डिंग बढ़ाई, जिससे बाजार स्वामित्व संरचना स्थिर हुई। बाहरी अनिश्चितताओं के कारण रुपये के मूल्यह्रास का जोखिम बना हुआ है।

बुलेटिन में मुद्रास्फीति का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि हेडलाइन मुद्रास्फीति में कमी आयी है। फरवरी 2025 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति सात महीने के निचले स्तर 3.6 प्रतिशत पर आ गई, जिसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में गिरावट थी। हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति (खाद्य और ईंधन को छोड़कर) बढ़कर 4.1 प्रतिशत हो गई, जो लगातार मूल्य दबाव को दर्शाती है।

रोजगार के बारे में इसमें कहा गया है कि पीएमआई सर्वेक्षण शुरू होने के बाद से विनिर्माण रोजगार में दूसरी सबसे तेज दर से वृद्धि हुई। सेवा क्षेत्र के रोजगार में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई, जो मजबूत मांग को दर्शाता है। शहरी बेरोजगारी 6.4 प्रतिशत के ऐतिहासिक निम्न स्तर पर बनी हुई है।

अप्रैल 2024-फरवरी 2025 तक निर्यात में मामूली 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 395.6 अरब डॉलर हो गया, लेकिन फरवरी में निर्यात में सालाना आधार पर 10.9 प्रतिशत की गिरावट आई, जिसका मुख्य कारण आधार प्रभाव और कमजोर वैश्विक मांग थी। इसमें सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वाले निर्यात क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स, चावल और अयस्क शामिल है जबकि कमजोर निर्यात क्षेत्रों में पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग सामान, रसायन और रत्न एवं आभूषण शामिल है।

अप्रैल 2024-फरवरी 2025 के दौरान सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स और पेट्रोलियम के कारण आयात 5.7 प्रतिशत बढ़कर 656.7 अरब डॉलर हो गया, हालांकि फरवरी 2025 में इसमें 16.3 प्रतिशत की गिरावट आई, जिससे व्यापार घाटा कम हुआ। तेल और सोने के आयात में उल्लेखनीय गिरावट आई, जिससे कुल आयात में गिरावट आई। इलेक्ट्रॉनिक सामान और मशीनरी का आयात मजबूत रहा, जो घरेलू निवेश मांग को दर्शाता है।

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