रायपुर 12 मार्च (वार्ता) छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के 12वें दिन बुधवार को विपक्ष ने भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी का मामला उठाया। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट होने पर पूरे विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन किया।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत ने कहा कि यह बड़ी गड़बड़ी है और इसमें कई लोग मिले हुए हैं। राजनीतिक दलों के लोग भी मिले हो सकते हैं, इसकी केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच होनी चाहिए।
इस पर विभागीय मंत्री टंकराम वर्मा ने आयुक्त से जांच करने का ऐलान किया। मंत्री के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने वॉकआउट किया।
सदन में राजस्व मंत्री वर्मा ने भारतमाला परियोजना में गड़बड़ी स्वीकार करते हुए कहा कि अधिसूचना के बाद रकबे का टुकड़ा किया गया। अधिकृत भूमि का दोबारा भू-अर्जन किया गया। ट्रस्ट के बदले ट्रस्ट के व्यक्ति को मुआवजा मिल गया। डिप्टी कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार और पटवारी पर कार्रवाई की गई है।
इस पर नेता प्रतिपक्ष महंत ने कहा,“जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया जाए। निलंबन ऐसी प्रक्रिया है, जिससे दोषी जल्द बच जाते हैं। निलंबन से लौटने के बाद फिर अधिकारी उसी हिसाब से काम करते हैं। मेरा हाथ जोड़कर निवेदन है कि मामले की सीबीआई जांच की मांग स्वीकार कर लें।”
इस पर श्री वर्मा ने मामले की जांच आयुक्त से कराने का ऐलान किया।
विषय पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि जांच में कहीं हीलाहवाला नहीं किया जाएगा। कांग्रेस की सरकार ने तो सीबीआई को बैन किया था।
इस पर नेता प्रतिपक्ष ने विधायकों की समिति बनाकर मामले की जांच कराने की मांग की। भारतमाला परियोजना में जांच की मांग पर विपक्ष के हंगामे के बीच सत्तापक्ष के विधायक रिकेश सेन ने कटाक्ष करते हुए कहा कि कांग्रेस को केंद्रीय एजेंसी पर कब से भरोसा हो गया। जो लोग सीबीआई को बैन करते हैं। ईडी पर भरोसा नहीं है। वह आज जांच की मांग कर रहे हैं।
कांग्रेस विधायक उमेश पटेल ने शिकायत के आधार पर जांच के दायरे पर सवाल उठाया। मंत्री ने कहा कि आयुक्त से विस्तृत जांच कराई जाएगी।
इसके बाद भारतमाला परियोजना के गड़बड़ी पर नेता प्रतिपक्ष महंत ने सत्तापक्ष के जवाब से असंतुष्ट होकर बहिर्गमन करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का ऐलान किया।
