नयी दिल्ली 07 मार्च (वार्ता) भारत एवं भूटान ने दोनों देशों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर डोकलाम सहित विवादास्पद मुद्दों के समाधान के लिए 06-07 मार्च को दो दिन तक गहन विचार मंथन किया।
विदेश मंत्रालय ने आज यहां एक विज्ञप्ति में बताया कि सीमा संबंधित मामलों की समीक्षा के लिए भारत सरकार के अधिकारियों और अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के कार्यालय तथा भूटान की शाही सरकार के बीच नई दिल्ली में दो दिवसीय बैठक आज संपन्न हुई। भारतीय पक्ष का नेतृत्व भारत के महासर्वेक्षक हितेश कुमार एस. मकवाना ने किया और भूटानी पक्ष का नेतृत्व भूटान की शाही सरकार के अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं के सचिव दाशो लेथो तांगबी ने किया।
विज्ञप्ति के अनुसार दोनों पक्षों ने सीमा से संबंधित क्षेत्र मामलों पर संबंधित क्षेत्र सर्वेक्षण टीमों और अन्य हितधारकों द्वारा पूरा किए गए कार्य पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने अगले तीन फील्ड सत्रों के लिए कार्य योजना को भी अंतिम रूप दिया। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने दोनों सरकारों की प्राथमिकताओं के अनुसार सर्वेक्षण और सीमा से संबंधित कार्य से संबंधित तकनीकी और क्षमता निर्माण सहयोग की क्षमता पर चर्चा की।
विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत और भूटान के बीच मैत्री और सहयोग के अनूठे संबंध हैं, जो सभी स्तरों पर आपसी विश्वास, साझा मूल्यों और अत्यंत सद्भावना से प्रेरित हैं। यह बैठक सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण माहौल में आयोजित की गई थी और द्विपक्षीय सहयोग के सभी क्षेत्रों में नियमित संवादों की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है।”
गौरतलब है कि भारत और भूटान के बीच 699 किलोमीटर लंबी सीमा पर विवाद, वर्ष 2017 में चीन के सैन्य हस्तक्षेप की वजह से पैदा हुआ है। चीन भूटान को अपनी ‘फाइव फिंगर’ नीति के अंतर्गत अपना हिस्सा मानता है। वर्ष 2017 के गतिरोध के बाद से भारत को चिंता है कि चीन, डोकलाम पठार पर पहुंच या नियंत्रण हासिल करने की कोशिश कर रहा है। भारत और भूटान ने विवादित सीमा रेखा को रेखांकित करने और सीमा तय करने के लिए एक संयुक्त तकनीकी टीम (जेटीटी) गठित की और इस विवाद को सुलझाने के लिए अक्टूबर 2021 में तीन-चरणीय रोडमैप पर हस्ताक्षर किए थे।
