युवा भारतीय महिलाओं में बढ़ रही उद्यमशीलता

नयी दिल्ली 07 मार्च (वार्ता) दुनिया भर में खासतौर पर युवा महिलाओं में उद्यमशीलता की भावना तेज़ी से बढ़ रही है। महिलाएं अपने सपनों को साकार करने, वित्तीय स्वतंत्रता पाने, कार्य और जीवन में संतुलन बनाने और समाज में बदलाव लाने के लिए आगे बढ़ रही हैं।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2025 से पहले मास्टरकार्ड द्वारा किए गए नए शोध से पता चला है कि भारत की लगभग आधी (45 प्रतिशत) महिलाओं ने अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने का विचार किया है। यह प्रवृत्ति खासतौर पर मिलेनियल और जेनरेशन ज़ी की महिलाओं में अधिक देखी जा रही है। मिलेनियल (आयु 29-44) महिलाओं में यह संख्या 46 प्रतिशत है, जबकि जेनरेशन ज़ी की 45 प्रतिशत महिलाओं ने भी व्यवसाय शुरू करने की इच्छा जताई है। जेनरेशन एक्‍स (आयु 45-60) और बेबी बूमर्स (आयु 61-79) की महिलाओं में यह आंकड़ा थोड़ा कम है, लेकिन अब भी 38 प्रतिशत महिलाओं ने माना कि वे खुद का व्यवसाय शुरू करना चाहती हैं।

भारत में महिलाएं मुख्य रूप से तीन प्रमुख कारणों से उद्यमिता की ओर बढ़ रही हैं। अपने सपनों को पूरा करने की इच्छा (51 प्रतिशत), बेहतर कार्य-जीवन संतुलन की तलाश (44 प्रतिशत) और पारंपरिक नौकरियों से आज़ादी (40 प्रतिशत)। शोध से यह भी पता चला कि वर्तमान में लगभग आधी (46 प्रतिशत) भारतीय महिलाओं के पास कोई न कोई अतिरिक्त कमाई का जरिया है। खासतौर पर बेबी बूमर्स (आयु 61-79) की महिलाओं में यह आंकड़ा बढ़कर 61 प्रतिशत हो गया है, क्योंकि वे किसी भी अन्य आयु समूह की तुलना में अधिक पैसे कमाने के लिए अपनी साइड इनकम शुरू करने के लिए सबसे अधिक प्रेरित हैं।

महिलाओं में व्यवसाय बढ़ाने को लेकर भी बड़ा आत्मविश्वास देखा गया है। शोध में पाया गया कि महिला व्यवसायियों में 89 प्रतिशत को अगले पांच वर्षों में अपनी आमदनी बढ़ने की उम्मीद है, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा 87 प्रतिशत ही था। इतना ही नहीं, करीब 38 प्रतिशत महिलाएं मानती हैं कि अगले पांच सालों में उनका व्यवसाय 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ सकता है, जबकि पुरुषों में सिर्फ 20 प्रतिशत ऐसा सोचते हैं।

जो उद्योग भारतीय महिलाओं के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय हैं, उनमें शिक्षा, खाद्य एवं पेय पदार्थ और ऑनलाइन बिक्री प्रमुख हैं। शोध में सामने आया कि 28 प्रतिशत महिलाएं शिक्षा के क्षेत्र में, 21 प्रतिशत खाद्य एवं पेय पदार्थ के कारोबार में और 16 प्रतिशत ऑनलाइन विक्रेता के रूप में अपना व्यवसाय शुरू करने की इच्छुक हैं।

हालांकि, इतनी मजबूत इच्छाशक्ति और सपनों के बावजूद, कई महिलाओं के लिए व्यवसाय शुरू करना अभी भी आसान नहीं है। शोध से पता चलता है कि जो महिलाएं अपना व्यवसाय शुरू करना चाहती हैं, उनमें से 42 प्रतिशत का मानना है कि यह उनके लिए संभव नहीं है। यह संख्या जेनरेशन जी की महिलाओं में और भी अधिक (46 प्रतिशत) है।

महिलाओं को व्यवसाय शुरू करने से रोकने वाली सबसे बड़ी बाधा ग्राहकों की सही समझ का अभाव है। लगभग 38प्रतिशत महिलाओं का कहना है कि उनके पास ग्राहक आधार को समझने की पर्याप्त जानकारी नहीं है। इसके अलावा, 36प्रतिशत महिलाओं ने माना कि उनके पास व्यवसाय शुरू करने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है, जबकि पुरुषों में यह आंकड़ा सिर्फ 29प्रतिशत था। शोध में यह भी सामने आया कि 24प्रतिशत महिलाओं को फंडिंग की कमी और 29प्रतिशत को असफलता के डर की वजह से अपने व्यवसाय की शुरुआत में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

इस रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय महिलाओं में व्यवसाय करने की तीव्र इच्छा तो है, लेकिन उनके सामने फंडिंग, ग्राहक की समझ और असफलता के डर जैसी चुनौतियाँ भी हैं। फिर भी, जो महिलाएं आगे बढ़ रही हैं, वे आने वाले वर्षों में न केवल खुद के लिए आर्थिक स्वतंत्रता हासिल करेंगी, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान देंगी।

जिन महिलाओं ने पहले ही अपना व्यवसाय शुरू कर लिया है, वे बताती हैं कि उन्हें पारिवारिक देखभाल की जिम्मेदारियों और काम-काज के संतुलन को बनाए रखने में पुरुषों की तुलना में अधिक संघर्ष करना पड़ता है। खासतौर पर बच्चों की देखभाल की व्यवस्था करना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है। शोध में पाया गया कि 16प्रतिशत महिला संस्थापकों ने इसे एक बड़ी बाधा बताया, जबकि पुरुष संस्थापकों में यह आंकड़ा केवल 7प्रतिशत था।

महिलाएं तब ज्यादा आत्मविश्वास महसूस करती हैं जब उन्हें आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण (43प्रतिशत) और अपने व्यवसाय की योजना बनाने में सहायता (42प्रतिशत) मिलती है। यह प्रतिशत पुरुषों में थोड़ा कम है, जहां 35प्रतिशत को तकनीकी प्रशिक्षण और 34प्रतिशत को व्यवसाय योजना में मदद की जरूरत महसूस होती है।

शोध में यह भी सामने आया कि भारत में 41प्रतिशत महिलाएं अपने व्यवसाय को स्थापित करने के लिए बेहतर वित्तीय सहायता और फंडिंग विकल्पों की तलाश में हैं। यह संख्या जेनरेशन एक्‍स की महिलाओं में बढ़कर 54प्रतिशत हो जाती है। इसके अलावा, 38प्रतिशत महिलाएं कोडिंग जैसी तकनीकी स्किल्स में अधिक प्रशिक्षण चाहती हैं, जबकि 36प्रतिशत महिला संस्थापक भुगतान प्रबंधन को लेकर विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहती हैं। इस तुलना में पुरुषों में यह संख्या केवल 27प्रतिशत थी।

मास्टरकार्ड के दक्षिण एशिया डिवीजन के अध्यक्ष गौतम अग्रवाल ने इस रिपोर्ट पर कहा, “ यह शोध भारत में महिलाओं, विशेष रूप से युवा पीढ़ी, की मजबूत उद्यमशीलता की भावना को दर्शाता है। हालांकि, महिला उद्यमियों ने कई क्षेत्रों में प्रगति की है, लेकिन यह रिपोर्ट यह भी बताती है कि उनके सामने अब भी कई चुनौतियां मौजूद हैं। इन बाधाओं को दूर करने और ऐसा वातावरण बनाने की आवश्यकता है जहां सभी उद्यमी, चाहे वे किसी भी पृष्ठभूमि से हों, सफल हो सकें।”

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