प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा को संतोषजनक और मोटे तौर पर सफल कहा जाएगा.टैक्स विवाद को यात्रा की सफलता में सबसे बड़ी बाधा माना माना जा रहा था, लेकिन अमेरिका ने इस मामले में अनुकूल रवैया अपनाया है. भारत का रुख भी लचीला नजर आया. आतंकवाद और डिफेंस के मामले में डोनाल्ड ट्रंप और नरेंद्र मोदी की केमिस्ट्री बेहतरीन नजर आई. दरअसल परस्पर व्यापार को छोडक़र अन्य सभी मुद्दों पर अमेरिका और भारत के बीच शानदार तालमेल दिखा. प्रधानमंत्री ने खालिस्तान, आतंकवाद, अवैध प्रवासी भारतीय समेत कई मुद्दों पर डोनाल्ड ट्रंप से चर्चा खुलकर की. प्रधानमंत्री ने पत्रकार वार्ता के दौरान भारत के ‘मेक इंडिया ग्रेट अगेन’ (मीगा) के विजन के बारे में बात की. नरेंद्र मोदी ने ये बात ट्रंप के खास नारे ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (मागा) से निकाली. उन्होंने कहा कि मागा और मीगा का संयुक्त विजन समृद्धि के लिए एक मेगा साझेदारी बन जाता है. भारत और अमेरिका के आपसी व्यापार के संदर्भ में यह महत्वपूर्ण है कि दोनों देशों ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार के लिए 500 बिलियन डॉलर यानी 43 लाख करोड़ से ज्यादा के कारोबार का लक्ष्य रखा है. यह लक्ष्य पहले की तुलना में दुगना है. जाहिर है जब दोनों देश आपस में इतना अधिक व्यापार बढ़ाना चाहते हैं तो टैक्स की बाधा को समाप्त करने या सरलीकृत करने पर भी आखिरकार सहमत होंगे ही. दरअसल, टैक्स विवादों को हल करने के लिए दोनों देश लगातार परस्पर बातचीत के लिए रोड मैप तैयार करने के लिए राजी हैं.इस दौरान हुई पत्रकार वार्ता में राष्ट्रपति ट्रंप ने स्वीकार किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत हार्ड बारगेनर और टफ निगोशिएटर हैं. दरअसल,यह बात स्पष्ट भी है क्योंकि जब अमेरिका ने चीन विवाद में सहयोग देने की पेशकश की तो भारत ने ट्रंप की इस पेशकश को ठुकरा दिया.भारत ने कहा कि वो द्विपक्षीय तरीके से ही इस मामले को सुलझाने में दिलचस्पी रखता है. भारत को रक्षा सौदों के मामले में भी महत्वपूर्ण सफलता मिली है. अमेरिका भारत को दुनिया के सबसे खतरनाक और तेज माने जाने वाले एफ 35 फाइटर जेट देने पर राजी हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ व्यापक बातचीत करने के बाद ट्रंप ने कहा कि दुनिया के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के बीच एक “विशेष बंधन” है और दोनों पक्षों ने ऊर्जा, महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों और कनेक्टिविटी जैसे विविध क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है.वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच सहयोग एक बेहतर दुनिया को आकार दे सकता है. उन्होंने कहा कि अगले दशक के लिए एक रक्षा सहयोग ढांचा तैयार किया जाएगा. बहरहाल, इसके पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की व्यक्तिगत केमिस्ट्री व्हाइट हाउस में एक बार फिर देखने को मिली. राष्ट्रपति ट्रंप ने प्रधानमंत्री को लंबे समय से अपना “महान मित्र” बताया. यही नहीं समझौतों पर हस्ताक्षर के लिए जब प्रधानमंत्री बैठने लगे तो ट्रंप ने खुद उनकी कुर्सी पीछे सरकाई, जबकि प्रोटोकॉल के हिसाब से मेहमानों के लिए कुर्सी सरकाने का काम व्हाइट हाउस के मुख्य सुरक्षा अधिकारी करते हैं. दरअसल, 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति ट्रंप के 47वें अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद दोनों नेताओं के बीच यह पहली बैठक थी. कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अमेरिकी दौरा सफल रहा. अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के माध्यम से चीन को कड़ा कूटनीतिक संदेश देने की भी कोशिश की. जाहिर है चीन को ऐसा ही संदेश भारत भी देना चाहता था.

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