मध्य प्रदेश मंत्रिमंडल ने मंगलवार को राज्य में औद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए 7 महत्वपूर्ण फैसले लिए. निश्चित रूप से इन फैसलों के लागू होने के बाद प्रदेश में रोजगार और कारोबार बढ़ाने के अवसर बढ़ेंगे .सरकार का दावा है कि इन फैसलों की वजह से 6 साल में 20 लाख रोजगार बढ़ेंगे. जाहिर है इन फैसलों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित करना एक बड़ी चुनौती होगी. वैसे सरकार के नीतिगत फैसले आमतौर पर अच्छे ही होते हैं. नीतियों की विफलता का कारण दरअसल उस के क्रियान्वयन में की गई देरी होती है. अब यह नौकरशाही की जवाबदारी है कि मंत्रिमंडल के इस तरह के अत्यंत महत्वपूर्ण फैसलों को मुकम्मल तौर पर जमीनी हकीकत में बदलें. दरअसल, ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के पहले निवेशकों को रिझाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने सात नीतियों को एक साथ मंजूरी दी. इसमें औद्योगिक संवर्धन नीति 2025 ,रोजगार कारोबार निर्यात और विदेशी निवेश बढ़ाने वाली सात नीतियां और 10 उप नीतियां शामिल हैं. यदि ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट्स का सिलसिला सफल रहा तो आने वाले 6 वर्षों में 20 लाख रोजगारों का सृजन होगा. इसके अलावा जीडीपी में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान 2.9 लाख करोड़ रुपए से बढक़र 6 लाख करोड़ रुपए हो जाएगा. सरकार का लक्ष्य है कि पहले ही वर्ष में 3 लाख नौकरियां निर्मित की जाएं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन नीतियों को सेवा गारंटी कानून के दायरे में लाकर मंजूरी और एनओसी की समय सीमा तय कर दी गई है. पहले एक उद्योग लगाने में 30 तरह की अनुमतियां और एनओसी लगती थी, इन्हें घटाकर 10 तक लाया गया है. विदेशी पूंजी निवेश यानी फॉरेन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट एफडीआई को बढ़ाने के लिए इन नीतियों में उपाय किए गए हैं. सरकार का यह फैसला भी महत्वपूर्ण है कि स्थानीय लोगों को रोजगार देने पर 1.5 प्रतिशत और पिछड़े क्षेत्रों में निवेश करने पर अतिरिक्त बेसिक इंवेस्टमेंट प्रमोशन असिस्टेंस दिया जाएगा. इसके अलावा सब्सिडी भी दी जाएगी. यदि कोई यूनिट एक वर्षभर के भीतर 40 $फीसदी उत्पादन प्रारंभ कर दे तो उसे और छूट तथा सुविधाएं मिलेंगी. यह भी स्वागत योग्य है कि प्रदेश सरकार मुख्य रूप से रिन्यूएबल एनर्जी उपकरण निर्माण, टेलीकॉम और नेटवर्किंग, केमिकल इंडस्ट्री, प्लास्टिक और पॉलीमर, फार्मास्यूटिकल्स,बायो टेक्नोलॉजी क्षेत्र को बढ़ावा देने वाली है. कुल मिलाकर प्रदेश सरकार ने इन नीतियों के निर्माण में इस बात का ध्यान रखा है कि मध्य प्रदेश की विशेषताओं के हिसाब से पूंजी निवेश आमंत्रित किया जाए. इको, ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन प्रदेश की यूएसपी है.पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भी इन नीतियों में अनेक उपाय किए गए हैं. ऐतिहासिक व सांस्कृतिक स्थलों के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर 100 करोड़ रुपए से ज्यादा का निवेश किया तो 15 से 30 प्रतिशत तक कैपेक्स सब्सिड दी जाएगी. यदि कोई निर्माता फिल्म की कुल शूटिंग दिनों में से 75 प्रतिशत शूटिंग प्रदेश में करता है तो सरकार निर्माता को 2 करोड़ रुपए वित्तीय सहायता देगी. ओटीटी वेब सीरीज और शॉर्ट फिल्म्स की शूटिंग के लिए भी आर्थिक सहायता और अन्य सहूलियतें दी जाएंगी. नीतियों में स्टांप ड्यूटी रजिस्ट्रेशन फीस में छूट के भी प्रावधान किए गए हैं. जाहिर है इन नीतियों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कर के जमीन पर उतारा गया तो प्रदेश का आर्थिक कायाकल्प हो जाएगा. मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव की इस मामले में प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने पद संभालते ही प्रदेश की आर्थिक प्रगति के प्रयास प्रारंभ कर दिए थे. उन्होंने औद्योगिक निवेश में अनेक प्रकार के नवाचार भी किए हैं. कुल मिलाकर प्रदेश मंत्रिमंडल के फैसले स्वागत योग्य ही कहे जाएंगे.
फैसले अच्छे, जमीनी हकीकत में बदलें
