सौरभ की फरारी में मदद करने वाले का खुलासा 

पूछताछ के लिए नोटिस जारी करेगी लोकायुक्त पुलिस

भोपाल, 2 फरवरी. आय से अधिक संपत्ति के मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा की फरारी के दौरान मदद करने वाले का खुलासा हो गया है. पूछताछ के दौरान सौरभ ने अपने उस रिश्तेदार का नाम बता दिया है, जिसने फरारी के दौरान दिल्ली और नोएडा में उसके रहने की व्यवस्था की थी. लोकायुक्त पुलिस अब उस रिश्तेदार से भी पूछताछ करेगी. इसके लिए नोटिस जारी किया जा रहा है. लोकायुक्त पुलिस ने पूर्व परिवहन आरक्षक सौरभ शर्मा के ठिकानों पर दिसंबर महीने में छापेमारी की थी. इस दौरान बड़ी मात्रा में आभूषण, नकदी और करोड़ों रुपये की संपत्ति से जुड़े दस्तावेज जब्त हुए थे. बीती 28 जनवरी को पुलिस ने सौरभ शर्मा को गिरफ्तार कर पूछताछ के लिए पुलिस रिमांड पर लिया था. उसके साथ ही सहयोगी शरद जायसवाल और चेतन सिंह गौर को भी गिरफ्तार किया गया. तीनों से लोकायुक्त कार्यालय में पूछताछ चल रही है. पूछताछ के दौरान सौरभ विदेश से वापस कब और कहां लौटा और देश लौटने के बाद किसकी मदद से कहां-कहां रहा, इसकी जानकारी नहीं दे रहा था. पूछताछ के पांचवें दिन उसे उस रिश्तेदार की नाम बताया, जिसने दिल्ली और नोएडा में उसके रहने और खाने की व्यवस्था की थी. प्रापर्टी की बिक्री पर लग चुकी है रोक सौरभ शर्मा के ठिकानों से जब्त हुए प्रापर्टी को खुर्द-बुर्द करने से बचाने के लिए लोकायुक्त ने जिला पंजीयकों को पहले ही पत्र लिख दिया है. दस्तावेजों में मिली प्रत्येक प्रापर्टी की जानकारी पंजीयकों को उपलब्ध करवा दी गई है ताकि उनकी दोबारा से रजिस्ट्री नहीं करवाई जा सके. शरद जायसवाल और चेतन सिंह ने किसी प्रकार के खुलासे नहीं किए हैं. हर महीने आता था 4 लाख किराया लोकायुक्त पुलिस सूत्रों ने बताया कि सौरभ शर्मा के पास हर महीने 4 लाख रुपये किराया आता था. यह जानकारी सौरभ ने पूछताछ के दौरान पुलिस को दी है. यह किराया उसकी प्रापर्टियों से मिल रहा था. ग्वालियर में स्थित प्रापर्टी का किराया लेने के लिए उसने कर्मचारी नियुक्त कर रखा था. यह कर्मचारी किराया वसूल कर सौरभ को भेजता था. सौरभ की बढ़ सकती है रिमांड सौरभ शर्मा समेत उसके तीनों सहयोगियों की रिमांड अवधि 4 फरवरी तक है. पूछताछ के दौरान सौरभ ने प्रापर्टी खरीदने के लिए फायनेंस करने वालों के नामों का खुलासा नहीं किया है. इसके साथ ही लोकायुक्त के ऐसे दर्जनों सवाल हैं, जिनके जवाब उसने नहीं दिए हैं. इसलिए अब लोकायुक्त पुलिस उसकी रिमांड अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन लगा सकती है.

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