कार्ति चिदंबरम ने बजट को लेकर कहा कि इसकी गहराई से जांच किए बिना कोई भी बुद्धिमत्तापूर्ण टिप्पणी करना मुश्किल है, क्योंकि बजट में असली सच्चाई हमेशा बारीकियों में छिपी होती है. सिर्फ वित्त मंत्री के भाषण को सुनकर कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता. उन्होंने कहा कि इस बार कई नई योजनाओं की घोषणा की गई है, लेकिन यह भी देखना जरूरी है कि पिछले बजट में घोषित योजनाओं का क्या हुआ. पिछली बार भी कई भव्य योजनाएँ पेश की गई थीं, तो अब सवाल यह है कि उनकी वर्तमान स्थिति क्या है?
– उन्होंने आगे कहा कि इस बार भी कई योजनाओं की घोषणा की गई है, जिनके बारे में खुद सरकार का कहना है कि इन्हें 2029 में मौजूदा संसद कार्यकाल के बाद पूरा किया जाएगा. ऐसे में इन योजनाओं की प्रभावशीलता पर सवाल उठता है. उन्होंने यह भी कहा कि यह आम बात हो गई है कि जब भी किसी राज्य में चुनाव आते हैं, तो उसे बजट में असामान्य रूप से अधिक महत्व दिया जाता है. उन्होंने बजट को राजनीतिक दिशा में केंद्रित बताते हुए कहा कि अब यह एक प्रवृत्ति बन चुकी है कि चुनावी गणित के आधार पर बजट तैयार किया जाता है
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