नवीन जनपद बनने के बाद जनता होगी परेशान, गांवो से जनपद की बढ़ जाएगी दूरियां
चितरंगी :सिंगरौलीजिला पंचायत सिंगरौली क्षेत्र अंतर्गत संभावित नवीन जनपद पंचायतो को लेकर जो खाका तैयार किया जा रहा है। उसको लेकर अब राजनैतिक गलियारे में हलचल होने लगी है। प्रस्तावित नवीन जनपद कुलकवार को लेकर अभी से ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं।नवीन जनपद बनने के बाद जनता परेशान होगी और गांवो से जनपद की दूरी बढ़ जाएगी। इसका आंकलन जिम्मेदार जनप्रतिनिधि शायद नहीं कर रहे हैं। सिर्फ अपने फायदे की राजनीति को बढ़ाने के लिए जनता को उलझाने लगे हैं। अगर ऐसा हुआ तो जनप्रतिनिधियों को इसका परिणाम भुगतना पड़ सकता है। इधर बता दें कि सोशल मीडिया पर नवीन संभावित जनपद पंचायतो को लेकर एक पत्र काफी वायरल हो रहा है।
जिसमें दर्शाया गया है कि जिला पंचायत क्षेत्र अंतर्गत लगभग 7 पंचायत बनाने की कवायद की रूपरेखा तैयार की जा रही है। जिसमें जनपद पंचायत बैढ़न के अलावा माडा़ का भी प्रस्ताव तैयार किया गया है। इसी तरह देवसर जनपद से अलग कर सरई को अलग पंचायत का प्रस्ताव बनाया जा रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे पत्र में जनपद पंचायत चितरंगी से अलग कर दुधमनिया और कुलकवार को जनपद पंचायत संभावित नवीन सूची तैयार की गई है।
लेकिन कुलकवार को लेकर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। जब आम जनता संभावित नवीन जनपद पंचायत की सूची देखी तो कहा कि यह सब राजनीतिककरण हो रहा है। अगर कुलकवार को जनपद बनाया जाएगा तो इसका मुख्यालय क्या होगा। अगर मुख्यालय कुलकवार को किया जाएगा तो कई ऐसे गांव है जिन्हें 40 किलोमीटर से ऊपर की दूरी तय करना पड़ेगा। अभी फिलहाल यह सूची असंभावित है। इसकी लंबी प्रक्रिया है। लेकिन जिस तरीके से कुलकवार जनपद के लिए गांवो का चयन किया गया है। इस चयन में बू-आ रही है। कई लोगों ने यहां तक कहा कि नेता लोग अपनी सुविधा से करवा रहे हैं ,जनता से उन्हें क्या लेना देना है।
इन गांवों को होगी परेशानी
नवीन प्रस्तावित जनपद पंचायत कुलकवार मेंं लगभग 42 गांवो को लिया जा रहा है। जिसमें धानी, कोरसर, वर्दी, बरहट, धरौली कला, खैरा, गड़वानी, सुकहर, ओड़नी, चितावल खुर्द, बगदरा कला,खटाई, गागी, माची कला, विजयपुर, मिसिरगवां सहित कई गांवों की जनता को परेशान होना पड़ेगा। जनपद का विस्तार इसलिए किया जाता है। ताकि जनता को सही तरीके से विकास मिल सके और सुगमता रहे। लेकिन जो नामो का चयन कुलकवार के लिए किया गया है। वह कहीं न कहीं राजनीतिक धु्रवीकरण है।