
नवभारत न्यूज
हटा/दमोह. मडियादो राजस्व अंतर्गत रमना वीट से महज दो किलोमीटर दूर लगभग 15 भट्टी संचालित की जा रही है, जब इसकी जानकारी नव भारत टीम को लगी तो नव भारत के संवाददाता ग्राउंड रिपोर्टिंग के लिए वहां पहुंचे, ग्राउंड रिपोर्टिंग पर पाया गया की रमन वीट से 2 किलोमीटर की दूरी पर 15 अवैध कोयले की भट्टी संचालित की जा रही थी, इसकी शिकायत जब संवाददाता द्वारा तहसीलदार से की गई. तो तहसीलदार और पटवारी की टीम ने छापा मारा छापे में लगभग 60 क्विंटल लकड़ी व 30 क्विंटल कोयला मौके पर पाया गया. यह भट्टी मार्च 6 माह से अधिक से संचालित की जा रही थी, पिछले 6 माह में हजारों क्विंटल लकड़ी जला दी गई. ध्यान देने वाली बात यह है कि इतनी बड़ी पैमाने पर लकड़ी कहां से प्राप्त हो रही थी और वन h विभाग राजेश को इसकी खबर क्यों नहीं लगी.
*नहीं है कोई एनओसी* कारखाने की संचालन में लगभग तीन विभाग की नोक अति आवश्यक है. जिसमें प्रदूषण मानक नियंत्रण बोर्ड का सर्टिफिकेट श्रम विभाग से कार्य करने की अनुमति और वनांचल क्षेत्र में आने की वजह से वन विभाग की नोक के साथ-साथ राजस्व की अनुमति आवश्यक है. भट्टी संचालकों के द्वारा इन सभी नियमों को दरकिनार कर लघु संयंत्र स्थापित करने के नाम पर एमएसएमई रजिस्ट्रेशन तक करना ठीक नहीं समझ गया और बिना एनओसी के ही कोयले के एस काले कारोबार को संचालित किया जाता रहा.यह अंबेडकर खाना कृषि भूमि पर संचालित किया जा रहा था कारखाना अधिनियम 1948 और संशोधित अधिनियम 1970 को व्यावसायिक भूमि पर स्थापित करने के स्पष्ट निर्देश हैं. जबकि संचालकों के द्वारा यह कारखाना कृषि कृषि भूमि में संचालित किया जा रहा था, इस कारखाने के संचालन में उपयोग में आने वाला पानी और विद्युत कनेक्शन व्यावसायिक ना होकर कृषि के लिए ही लिए गए थे.जिससे शासन को राजस्व की भी लगातार छठी संचालकों के द्वारा पहुंचाई गई.
तहसील और वन विभाग के कार्यालय से किलोमीटर की दूरी पर चल रही है. विभाग के और महत्व की जिम्मेदारों को जिम्मेदारों को दिखाई नहीं दी अधिकारियों की कुंभकरण निद्रा के कारण हजारों क्विंटल लकड़ी आग में झोंक दी गई. पर्यावरण को प्रदूषण मानक नियंत्रण बोर्ड द्वारा जांच पर 40 गुना जुर्माना का प्रावधान है, परंतु आज तक किसी भी तरह की कार्यवाही बीते 6 महीना में इन भट्टी संचालकों पर ना होना मिली भगत को स्पष्ट करता है.
*50 से 60 क्विंटल लकड़ी देखी गई*
इस पूरे घटनाक्रम में अधिकारियों की टीम पहुंचते ही भट्टी के संचालक कर्मचारी को छोड़कर नदारत हो गए. जबकि उनके द्वारा दूरभाष पर सूचना दिए जाने पर उनका कहना था कि अभी बाहर है. भट्टी संचालन में लिफ्ट कर्मचारियों के द्वारा नव भारत को बताया गया कि उनके पास 7000 खरीद की प्रेसिडेंट मौजूद है, जबकि मौका स्थल पर लगभग 50 से 60 क्विंटल लकड़ी देखी गई.कोल अधिनियम की कंडी गांव में कोयले के परिवहन हेतु अलग वहां होना निर्धारित है. परंतु मौके पर किसी भी तरह का कोई निश्चित वहां और दुर्घटना की स्थिति में किसी भी तरह के बचाव संयंत्र नहीं मिली.जिसके चलते कॉल अधिनियम के प्रति भट्टी संचालकों की लापरवाही उजागर होती है.
जब अंबेडकर खाने के संबंध में वन परिक्षेत्र के आल्हा अफसर ऋषि तिवारी से बात की उन्होंने कारखाने की अनुमति का खंडन किया और बताया यह यह भट्ठियां राजस्व भूमि में संचालित है. कारखाना अधिनियम में निर्दिष्ट दिशा निर्देशों के अनुसार 48 घंटे से अधिक की स्थिति में कारखाने में काम करने वाले मजदूर का निर्धारित बीमा होना चाहिए. परंतु कारखाने में किसी भी प्रकार की कोई बीमा प्रति मौजूद नहीं थी.छापामार टीम के अधिकारी और नायब तहसीलदार शिवराम चढा़र का कहना है कि छापे के दौरान किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं मिले हैं. शीघ्र ही पंचनामा और जपती की कार्यवाही कर संचालकों के विरुद्ध नियमानुसार प्रकरण पंजीबद्ध किया जाएगा.
