भाजपा अध्यक्ष को लेकर खींचतान जारी

विजयवर्गीय के खाते में एक जाने की संभावना

इंदौर:भाजपा ने प्रदेश के ज्यादातर नगर और ग्रामीण अध्यक्षों की घोषणा हो चुकी है. इंदौर का मसला अभी तक कोई निर्णय नहीं पहुंचा है. ग्रामीण विधायक एकजुट होकर विजयवर्गीय का विरोध कर रहे है. वही नगर अध्यक्ष को लेकर भी खींचतान जारी है और मुख्यमंत्री भी अड़े है.इंदौर भाजपा नगर और ग्रामीण अध्यक्ष के नामों पर प्रदेश नेतृत्व निर्णय नहीं कर पा रहा है. इस लड़ाई में सिंधिया भी शामिल हो गए है, उनकी तरफ से तुलसी सिलावट मोर्चा संभाले हुए हैं. ग्रामीण इलाकों के विधायक विजयवर्गीय समर्थक चिंटू वर्मा का खुलकर विरोध कर रहे है.

ग्रामीण विधायक उषा ठाकुर, मनोज पटेल, मधु वर्मा और सिंधिया समर्थक मंत्री तुलसी सिलावट ने अंतरदयाल सिंह के नाम पर सहमति दी है. विजयवर्गीय भी सिंह का विरोध कर रहे है. चित्रकूट में मुख्यमंत्री और विजयवर्गीय की बैठक हो चुकी है. माना जा रहा था कि इंदौर के नामों बार सहमति बन जाएगी, किंतु ऐसा नहीं हुआ, बल्कि खींचतान और ज्यादा बढ़ गई. यही स्थिति इंदौर शहर के नाम को लेकर चल रही है. प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने नए सिरे से कल वन टू वन भोपाल में वरिष्ठ नेताओं के साथ सभी नामों पर फिर से चर्चा की है. बताया जाता है कि इंदौर नगर के अध्यक्ष पद पर मुख्यमंत्री मोहन यादव अपने समर्थक को चाह रहे है, इसलिए समीकरण नहीं बैठ पा रहा है. विजयवर्गीय इंदौर में अपना वजूद कायम रखने के लिए दोनों जगह अपने समर्थक चाह रहे है.

इंदौर में इनके नामों पर चर्चा
इंदौर में मुकेश राजावत, सुमित मिश्रा और जवाहर मंगवानी के नाम चर्चारत है, लेकिन ज्यादा विवाद के स्थिति में संगठन से विजय मालानी का नाम रखा जा सकता है. वे आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता होकर बेदाग है. मिश्रा को नाम इसलिए नहीं बढ़ेगा, क्योंकि दो विधायक रमेश मेंदोला और गोलू शुक्ला के अलावा महापौर भी ब्राह्मण जाति के है. ऐसी स्थिति में किसी महिला के नाम पर भी भाजपा में मंथन हुआ है, जो निर्विवाद रूप से सबकी सहमति का कारण बन जाएं.

इंदौर शहर इसकी संभावना कम लगती है. राजावत जरूर गंभीर और काफी समय से लूप लाइन में है. राजावत ठाकुर भी है और जातिगत आधार पर सबकी पसंद बन सकते है. उन पर किसी नेता के समर्थक होने का प्रमाण नहीं है. यह बात अलग है कि वे अप्रत्यक्ष रूप से नंदा नगर के सहयोगी माने जाते है. फिलहाल इतना कहा जा सकता है कि कैलाश विजयवर्गीय के खाते में ग्रामीण या नगर से कोई एक अध्यक्ष जा सकता है. यह बात अलग है कि जीतू यादव कांड के बाद नंदा नगर प्रदेश और देश में थोड़ा कमजोर पड़ा है

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