प्रयागराज 05 जनवरी (वार्ता) सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार और विश्व कल्याण के लिए आध्यात्मिक, धार्मिक और सांस्कृतिक समागम के महाकुंभ में एक हठयोगी ने 12 वर्ष के संकल्प के साथ 45 किलो रूद्राक्ष माला की मनियों की टोपी धारण कर श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं।
अखाड़ों के नागा संन्यासी अभी से मेला क्षेत्र में डेरा जमाए हैं जबकि अभी मेला पूरा सजा भी नहीं है। मेला क्षेत्र में अखाड़ों के शिविरों के अंदर और बाहर नागा संन्यासियों के शिविर के पास श्रद्धालु उनके आर्शीवाद की चाहत में खड़े रहते हैं लेकिन संन्यासियों का ध्यान उनकी तरफ से दूर शरीर पर भस्म का आवरण धारण किए अलमस्ती में चिलम का दम लगाने में मस्त रहता है।
हठयोगी रुद्राक्ष बाबा आवाहन अखाड़ा के श्रीमहंत सचिव गीतानंद गिरी महाराज हैं। उन्होंने बताया कि उनके सिर पर ढाई हजार से अधिक रूद्राक्ष की माला है जिसमें सवा दो लाख मनियां हैं। इसका वजन लगभग 45 किलो है। उनके पूरे शरीर पर रुद्राक्ष ही रुद्राक्ष दिखता है क्योंकि उन्होंने काली मिर्च के आकार के रुद्राक्ष से बनी जैकेट भी धारण किए है, गले और कलाइयों पर रूद्राक्ष की माला हैं। इनके दर्शन और आशीर्वाद के लिए दिन भर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की कतार लगी रहती है।
हठ योगी ने बताया कि बताया कि उन्होंने प्रयागराज के 2019 अर्धकुंभ में सवा लाख रुद्राक्ष धारण करने का संकल्प लिया था, लेकिन महाकुंभ 2025 के आते-आते उसकी संख्या सवा दो लाख पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन वह रूद्राक्ष की टोपी को 12 घंटे सिर पर धारण किए रहते है।
एक सवाल के जवाब में हठ योगी ने बताया कि उन्हें स्वयं पता नहीं हम कहां के रहने वाले हैं। बहता हुआ पानी, चलता हुआ सर्प और साधु का कोई एक मूल स्थान नहीं होता। यह सर्वदा चलायमान रहते हैं। साधु जहां ठहर गया वह उसका घर है, दूसरे दिन का ठहराव जहां हो गयी वही उसका ठिकाना है।
उन्होंने बताया कि उनका हठयोग 12 साल का है। अभी छह वर्ष का समय बीता है शेष छह साल है जो आने वाले अर्द्ध कुंभ में यह संकल्प पूरा होगा। इस दौरान रुद्राक्ष की संख्या बढ़ती ही जाएगी। उन्होंने इस संकल्प के पीछे का कारण
विश्व कल्याण, शांति, सनातन संस्कृति के प्रचार प्रसार और राष्ट्र रक्षा के लिए लिया है। यह रुद्राक्ष न/न केवल साधक के लिए आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक है बल्कि रुद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति स्वास्थ्य में सुधार और सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है। यह हर प्रकार के नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है।
हठ योगी महराज ने बताया कि सनातन धर्म में रुद्राक्ष का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इसको महादेव का अंश माना जाता है। रुद्राक्ष को आभूषण के तौर पर पहना जाता है और इसका इस्तेमाल मंत्र जाप के लिए भी किया जाता है। शिव पुराण के मुताबिक, रुद्राक्ष 14 मुख्य प्रकार के होते हैं। कुछ मान्यताओं के मुताबिक, रुद्राक्ष 21 मुखी तक हो सकता है। उन्होंने बताया कि एक मुखी रूद्राक्ष बहुमूल्य होता है। यह देश के कुछ महत्वपूर्ण लोगों के ही पास है।
