निर्यात केन्द्रित बजट से मिल सकता 25 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात: फियो

नयी दिल्ली 26 दिसंबर (वार्ता) भारतीय निर्यात संगठनों के संघ (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने आज कहा कि बजट में निर्यात पर अमेरिका केन्द्रित फोकस ने उन क्षेत्रों में जहां चीन पहले एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है, में भारत को लाभ हो सकता है तथा इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स, ऑटोमोटिव पार्ट्स और कंपोनेंट, ऑर्गेनिक केमिकल्स, परिधान और कपड़ा, फुटवियर, फर्नीचर और होम डेकोर, खिलौने आदि जैसे क्षेत्रों में टैरिफ युद्ध के कारण लगभग 25 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात मिल सकता है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ बजट पूर्व चर्चा में भाग लेने के बाद यहां जारी बयान में श्री कुमार ने कहा “ चीन पर उच्च टैरिफ लगाने का अमेरिका का इरादा भारतीय निर्यात के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर पैदा कर सकता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां चीन पहले एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। हमारे अध्ययन के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल्स, ऑटोमोटिव पार्ट्स और कंपोनेंट, ऑर्गेनिक केमिकल्स, परिधान और कपड़ा, फुटवियर, फर्नीचर और होम डेकोर, खिलौने आदि जैसे क्षेत्रों में टैरिफ युद्ध के कारण हमें लगभग 25 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात मिल सकता है। इसके लिए हमें बड़ी संख्या में प्रदर्शनियों में प्रदर्शन करके, क्रेता-विक्रेता बैठकों में भाग लेकर और सरकार के सक्रिय समर्थन के साथ अमेरिका में खुदरा विक्रेताओं और वितरकों के बड़े स्थानीय संघों के साथ गठजोड़ करके अमेरिका में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 250 करोड़ रुपये (कुल 750 करोड़ रुपये) के कोष के साथ अमेरिका पर ध्यान केंद्रित करने के लिए एक विपणन योजना शुरू की जा सकती है, जिससे तीन वर्षों के अंत तक 25 अरब डॉलर का अतिरिक्त निर्यात हो सके। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति के कारण इनपुट की लागत में वृद्धि और माल ढुलाई की दरें अभी भी अधिक हैं, अधिक ऋण की आवश्यकता है। खरीदार भी भुगतान करने के लिए अधिक समय की मांग कर रहे हैं। इस प्रकार, निर्यातकों को लंबी अवधि के लिए अधिक ऋण की आवश्यकता होती है, जिससे ब्याज लागत और भी अधिक प्रासंगिक हो जाती है। ब्याज समतुल्यता योजना प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले निर्यातकों को समान अवसर प्रदान कर रही थी। इस योजना ने निश्चित रूप से निर्यात में मदद की है क्योंकि 2015-2024 के बीच इस योजना के संचालन के दौरान निर्यात में 4.4 प्रतिशत की व्यापारिक व्यापार वृद्धि के मुकाबले 6.6 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि हुई है। वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत के गैर-तेल निर्यात में वृद्धि जारी है। ब्याज समतुल्यीकरण योजना ने निर्यातकों को बहुत कम लाभ देने वाले ऑर्डर प्राप्त करने में मदद की है, जो ब्याज समतुल्यीकरण योजना के बिना खो सकते थे। प्रति निर्यातक 10 करोड़ रुपये की सीमा के साथ योजना को जारी रखा जा सकता है।

फियो अध्यक्ष ने कहा कि निर्यात को बनाए रखने के लिए अनुसंधान एवं विकास और उत्पाद नवाचार महत्वपूर्ण हैं। हमारे प्रतिस्पर्धियों की तुलना में हमारा अनुसंधान एवं विकास खर्च बहुत कम है। वैश्विक स्तर पर अनुसंधान एवं विकास को कर छूट या कर कटौती के माध्यम से प्रोत्साहित किया जाता है। 38 में से 35 ओईसीडी देश भारी अनिश्चितता और लंबी अवधि के मद्देनजर अनुसंधान एवं विकास खर्च को कर सहायता प्रदान करते हैं। अनुसंधान एवं विकास लगभग सभी क्षेत्रों के लिए आवश्यक है, लेकिन निर्यात के उभरते क्षेत्रों के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण है, जो निर्यात के नए चालक होंगे। उन्होंने सरकार से आयकर अधिनियम की धारा 35(2एबी) के तहत अनुसंधान एवं विकास खर्च के लिए 200 प्रतिशत से 250 प्रतिशत की कर कटौती प्रदान करने का अभी अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि सरकार के विभिन्न प्रमुख कार्यक्रमों के तहत भारत कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन रहा है। भारत में कंटेनर निर्माण की शुरुआत ने कंटेनर शुल्क को काफी हद तक स्थिर कर दिया है। हालाँकि, हमारा अधिकांश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विदेशी शिपिंग लाइनों के माध्यम से होता है और एमएसएमई निर्यातक उनकी दया पर निर्भर रहते हैं। हम सालाना परिवहन सेवा शुल्क के रूप में 100 अरब डॉलर से अधिक भेज रहे हैं और शिपिंग भाड़ा इसका एक बड़ा हिस्सा है। शिपिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया अतिरिक्त बेड़े हासिल कर रहा है। इसमें और अधिक इक्विटी डालने या एक बड़ी निजी क्षेत्र की शिपिंग लाइन को प्रोत्साहित करने का अनुरोध करते हुये उन्होंने कहा कि इससे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा समय के साथ हमारी अपनी शिपिंग लाइन के माध्यम से हो सकेगा। इससे आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के दौरान भी सुरक्षा होगी।

श्री कुमार ने कहा कि बड़ी संख्या में निर्यातकों को विदेशी बैंक शुल्कों पर जीएसटी देयता के बारे में नोटिस मिल रहे हैं, जिसके बारे में फिटमेंट कमेटी ने स्पष्ट किया है कि यह बैंक पर लगाया जाना है और बैंक इसका आईटीसी दावा कर सकते हैं। जीएसटी परिषद ने भी इसका संज्ञान लिया। हालांकि, चूंकि कोई स्पष्टीकरण जारी नहीं किया गया है, इसलिए जीएसटी अधिकारी निर्यातकों को नोटिस जारी कर रहे हैं। इसी तरह, विदेशी बैंक शुल्कों के कारण 100-150 डॉलर की कमी पर, सीमा शुल्क नोटिस जारी कर रहा है क्योंकि बैंक शुल्क का अलग से उल्लेख नहीं किया गया है। ऐसी कमी पर वापसी आम तौर पर 500-1000 रुपये के बीच होती है। निर्यातकों और सरकार दोनों के लिए कागजी कार्रवाई और प्रशासनिक लागत इससे कहीं अधिक है। इसके मद्देनजर उन्होंने अनुरोध किया कि प्रशासनिक सुविधा के लिए 1000 रुपये तक की अतिरिक्त कटौती को माफ किया जाए।

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