नयी दिल्ली 04 दिसंबर (वार्ता)भारतीय बच्चे माता-पिता की तुलना में स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग के नकारात्मक प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक होने के बावजूद अधिकांश बच्चे ‘स्मार्टफोन उपयोग’ के लिए ‘माता-पिता के नियंत्रण’ की वकालत की है।
जैसे-जैसे स्मार्टफोन हमारे जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बनता जा रहा है, सभी आयु समूहों में, विशेष रूप से बच्चों में स्मार्टफोन के अत्यधिक उपयोग के बारे में चिंताएँ बढ़ रही हैं। मानवीय रिश्तों, खास तौर पर माता-पिता और बच्चों के बीच स्मार्टफोन के अत्यधिक इस्तेमाल के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए, साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के सहयोग से स्मार्टफोन ब्रांड वीवो ने अपने स्विच ऑफ शोध अध्ययन के छठे संस्करण के निष्कर्षों काे जारी किया है।
‘माता-पिता-बच्चे के रिश्तों पर स्मार्टफोन का प्रभाव’ शीर्षक वाले इस अध्ययन में इस बात पर जोर दिया गया है कि कैसे अत्यधिक और अनियमित स्मार्टफोन का इस्तेमाल बच्चों और उनके माता-पिता के बीच के रिश्तों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।छह साल पहले शुरू किए गए वीवो के स्विच ऑफ अभियान में स्मार्टफोन के जिम्मेदाराना इस्तेमाल की वकालत की गई है, जिसमें परिवारों को वास्तविक जीवन के रिश्तों को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। यह पहल भारत में सफलता के एक दशक का जश्न मनाते हुए गहरे मानवीय संबंधों को बढ़ावा देने की वीवो की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इस अध्ययन में चिंताजनक जानकारी सामने आई है, जो माता-पिता और बच्चों के लिए अपने बेवजह स्मार्टफोन इस्तेमाल पर विचार करने की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है। अध्ययन के अनुसार, माता-पिता और बच्चे दोनों एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ संबंध चाहते हैं, लेकिन कोई भी समूह अपनी अत्यधिक और उद्देश्यहीन स्मार्टफोन की आदतों पर लगाम लगाने को तैयार नहीं है। औसतन, माता-पिता अपने स्मार्टफ़ोन पर प्रतिदिन पाँच घंटे से ज़्यादा समय बिताते हैं, जबकि बच्चे चार घंटे से ज़्यादा समय बिताते हैं। उल्लेखनीय रूप से 73 प्रतिशत माता-पिता और 69 प्रतिशत बच्चे स्पष्ट रूप से स्मार्टफ़ोन के उपयोग को उनके बीच संघर्ष के स्रोत के रूप में पहचानते हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि 66 प्रतिशत बच्चों ने कहा कि अगर उनके सभी दोस्त भी सोशल मीडिया छोड़ दें, तो वे भी सोशल मीडिया छोड़ देंगे, जो उनके सोशल मीडिया व्यवहार पर सामूहिक कार्रवाई की समस्या के शक्तिशाली प्रभाव को रेखांकित करता है। अध्ययन से यह भी पता चलता है कि लगभग दो-तिहाई माता-पिता और बच्चे अपने स्मार्टफ़ोन का उपयोग सार्थक सामाजिक क्षणों जैसे कि सैर-सपाटा, छुट्टियाँ या उत्सव के दौरान भी करते हैं। जबकि दोनों समूह अत्यधिक स्मार्टफ़ोन उपयोग के नकारात्मक प्रभाव को स्वीकार करते हैं, बच्चे अपने माता-पिता की तुलना में इसके प्रतिकूल प्रभावों के बारे में अधिक जागरूक लगते हैं। चिंताजनक रूप से, 3 में से 1 बच्चे की इच्छा है कि कुछ सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया ऐप का आविष्कार कभी न हुआ होता। इसके अलावा, जब अपने माता-पिता के लिए फ़ोन डिज़ाइन करने के लिए कहा गया, तो लगभग 94 प्रतिशत बच्चों ने कॉलिंग, कैमरा और मैसेजिंग जैसी सुविधाओं पर ज़ोर दिया। उन्होंने फ़ोन को इस तरह से डिज़ाइन किया कि उसमें गेम, मनोरंजन या कुछ सोशल मीडिया ऐप शामिल न हों, जिन पर माता-पिता कथित तौर पर अपने स्मार्टफ़ोन का अधिकांश समय बिताते हैं।