नई दिल्ली, गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय से संबद्ध महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसायटी (मेट्स) ने 10 नवंबर को अपनी रजत जयंती का विज्ञान भवन में भव्य आयोजन किया । भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहें। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग से जुड़े लोगों को व्यवस्था का दबाव महसूस नहीं होना चाहिए। वे समाज में सम्मान के पात्र हैं और अर्थव्यवस्था के चालक तथा सामाजिक सद्भाव में योगदानकर्ता हैं।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ रविवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में महाराजा अग्रसेन टेक्निकल एजुकेशन सोसाइटी (मेट्स) के रजत जयंती समारोह के समापन काे संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘आर्थिक राष्ट्रवाद’ के सिद्धांतों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि विदेशी मुद्रा बचाने और स्थानीय उद्योग को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है कि अनावश्यक आयात पर अंकुश लगे।
उन्होंने कहा कि व्यापार, व्यवसाय, वाणिज्य और उद्योग से जुड़े हमारे लोगों को व्यवस्था का दबाव महसूस नहीं होना चाहिए। वे समाज में सम्मान के पात्र हैं। वे धन सृजक, नौकरी प्रदाता, अर्थव्यवस्था के चालक और सामाजिक सद्भाव में योगदानकर्ता हैं। उन्होंने कहा कि व्यापार में लगे लोगों ने समाज को वापस लौटाने की कला सीख ली है। यहां तक कि हमारा स्वतंत्रता आंदोलन भी उनके महत्वपूर्ण योगदान को चिह्नित करता है।
इस दौरान उपराष्ट्रपति ने मतभेद को स्वीकार करने को भारतीय सभ्यता का अंग बताया और समाजिक समरसता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक नहीं है कि दूसरा अपनी बात कहे और हम उसे मानें ही। पर उसकी बात न सुनना, उस पर चिंतन और मंथन न करना, यह हमारी सभ्यता का अंग नहीं है। विभिन्न मत रखरना एक ऊर्जा है। इससे ही व्यक्ति को स्वयं को सही करने की अनुमति मिलती है और कुछ नहीं तो सिक्के का दूसरा पहलू तो दिखता है। उन्होंने कहा कि सामाजिक समरसता के बिना बाकी सब अर्थहीन हो जाता हैं। सामाजिक समरसता हमारा आभूषण है। जब हम सहिष्णु होते हैं और सामाजिक समरसता का ध्यान रखते हैं, तो हर कोई सुख अनुभव करता है। हर कार्य करते समय ये देखिए कि सामाजिक समरसता बढ़े। उपराष्ट्रपति ने कहा कि किसी संस्थान की पहचान उसके संकाय से होती है। इंफ्रास्ट्रक्चर संस्थान की जरूरत है लेकिन फैकल्टी उसकी खुशबू है। अनुसंधान और नवाचार में निवेश वर्तमान और भविष्य में निवेश है। नवाचार और अनुसंधान अर्थव्यवस्था के प्रेरक इंजन हैं।
मेट्स के संस्थापक अध्यक्ष डॉ नन्द किशोर गर्ग ने संस्थान के पच्चीस वर्षो की यात्रा को गौरवमयी बताया और मानवता की सेवा के लिए भविष्य में नर्सिंग, पैरामेडिकल और मेडिकल कॉलेज खोलने की योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हमारे छात्र ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ चरित्र निर्माण और सक्षम बन रहे हैं। वर्तमान में हमारे संस्थानों में 10,000 से अधिक छात्र अध्ययन कर रहे हैं।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि “पद्मश्री प्रो. (डॉ.) महेश वर्मा, कुलपति, गुरु गोबिंद सिंह विश्वविद्यालय ,ने अपने उद्बोधन में महाराजा अग्रसेन संस्थान को विश्वविद्यालय का गौरव बताया ।
उन्होंने कहा कि ,महाराजा अग्रसेन संस्थान विश्वविद्यालय के चुनिंदा संस्थापक संस्थानों में से एक है, जो इस वर्ष अपनी रजत जयंती भी मना रहा है।”
उक्त अवसर पर संस्थान के पच्चीस वर्षों की यात्रा पर पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा एक लघु फिल्म और फोटो प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में केंद्रीय राज्य मंत्री कार्पोरेट मामले व सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री हर्ष मल्होत्रा ने अपने वक्तव्य में कहा कि विकसित भारत के निर्माण मैं मोदी सरकार ने बहुत से कार्य किये है और भारत को विश्व की पहले पांच स्थान में लाकर खड़ा कर दिया है l महाराजा अग्रसेन जैसे संस्थानों की महती भूमिका है जहां से निकले छात्र राष्ट्र निर्माण में विभिन्न क्षेत्रों में अपना योगदान दे रहें हैं।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में कार्यक्रम संयोजक डॉ सुबोध जिंदल,टी आर गर्ग,आनंद गुप्ता, ज्ञान अग्रवाल, रजनीश गुप्ता,जगदीश मित्तल, एस पी गोयल, नन्द किशोर अग्रवाल,मोहन गर्ग, ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव ,प्रोफ नीलम शर्मा,प्रो. राजनी मल्होत्रा ढींगराआदि की महत्वपूर्ण भूमिका रही।