शहर और प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी का गठन क्यों नहीं 

सियासत

प्रदेश कांग्रेस कमेटी की कमान संभाले हुए जीतू पटवारी को 7 महीने से ऊपर हो गए हैं। उन पर राहुल गांधी और कैसी वेणुगोपाल का वरदहस्त है। भंवर जितेंद्र सिंह को भी राहुल गांधी का बेहद नजदीकी माना जाता है। उन्हें विधानसभा चुनाव के बाद प्रभारी बनाया गया था। इन दोनों ने बार-बार ऐलान किया है कि 30 दिन के भीतर पीसीसी का गठन कर लिया जाएगा लेकिन इतना समय गुजर जाने के बावजूद पीसीसी गठित नहीं हो सकी है। यही स्थिति अनेक जिला अध्यक्षों की है। इंदौर शहर कांग्रेस के लिए बुरा सपना बन चुका है। यहां पार्टी रसातल पर जा चुकी है। इसके बावजूद पिछले 5 वर्षों से शहर कांग्रेस कमेटी बिना कार्यकारिणी के काम कर रही है। प्रमोद टंडन को शहर कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद इंदौर शहर की कार्यकारिणी ही गठित नहीं हो सकी है। विनय बाकलीवाल इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के पद पर 4 वर्ष से अधिक समय तक रहे लेकिन वो बिना कार्यकारिणी के कामकाज करते रहे। यही स्थिति सुरजीत सिंह चड्ढा की है। वास्तव में आपसी खिंचतान और गुटबाजी के चलते ना तो पीसीसी गठित हो पा रही है और ना ही अनेक जिलों की कार्यकारिणी। एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार जीतू पटवारी और भंवर जितेंद्र सिंह को प्रदेश में कांग्रेस के रिवाइवल के लिए जो करना चाहिए वह तो नहीं कर रहे हैं उल्टे अच्छे कामों का विरोध कर कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा रहे हैं। जाहिर है इस तरीके से मध्य प्रदेश में भाजपा का मुकाबला नहीं किया जा सकता। कांग्रेस के इन वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि इंदौर में कांग्रेस कार्यालय पर एक कैबिनेट मंत्री का स्वागत करने पर कांग्रेस में जो बवाल मचा है वो आश्चर्यजनक है क्योंकि कांग्रेस ने हमेशा सौजन्यता की राजनीति की है। लगता है प्रदेश कांग्रेस कमेटी कांग्रेस की सौजन्यता की वो परंपरा भूल गई। यह वही महात्मा गांधी की कांग्रेस थी जिसने 1947 में अपने पहले कैबिनेट में हिंदू महासभा के डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी और रिपब्लिकन पार्टी के भीमराव अंबेडकर सहित तमाम वैचारिक विरोधियों को नेहरू मंत्रिमंडल में शामिल करवाया था। पंडित जवाहरलाल नेहरू की राजनीतिक सौजन्यता और शिष्टाचार की मिसालें दुनिया भर में दी जाती हैं। स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संकट के समय संघ के तत्कालीन प्रमुख गोलवलकर गुरुजी को आमंत्रित करने में हिचक महसूस नहीं करते थे। स्वर्गीय राजीव गांधी ने अटल बिहारी वाजपेई को अनेक बार विदेश में शिष्ट मंडल के नेता के तौर पर भेजा। मध्य प्रदेश कांग्रेस की ही बात करें तो स्वर्गीय विद्या चरण और श्यामा चरण शुक्ला, स्वर्गीय अर्जुन सिंह, स्वर्गीय मोतीलाल वोरा, दिग्विजय सिंह, ऐसे मुख्यमंत्री और नेता रहे हैं जिन्होंने हमेशा विरोधियों का व्यक्तिगत तौर पर सम्मान और सत्कार किया है। दिग्विजय सिंह जब मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की भोपाल बैठक के सभी सदस्यों को स्वागत भोज दिया था। यह खबर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी थी। लेकिन कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने कभी दिग्विजय सिंह से इस संबंध में सवाल जवाब नहीं किए। जबकि उस समय भाजपा नेता , श्रीमती सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर आक्रामक रहते थे। जाहिर है प्रदेश कांग्रेस कमेटी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।

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