छात्रावास की जांच करने आ रहे हैं व्यवस्था सुधार लीजिए 

– कलेक्टर के निर्देश पर आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास मड़वास अधीक्षक के कारनामों की हुई जांच को लेकर ही खड़े होने लगे सवाल

 

नवभारत न्यूज

सीधी/मड़वास,7 नवंबर। कलेक्टर के निर्देश पर आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास मड़वास अधीक्षक के कारनामों की हुई जांच को लेकर ही सवाल खड़े होने लगे हैं। सूत्रों की मानें तो सीधी से जो विभागीय टीम जांच के लिए रवाना हुई उसके द्वारा पूर्व में ही सूचना दे दी गई थी कि छात्रावास की जांच करने आ रहे हैं व्यवस्था सुधार लीजिए।

मालूम रहे कि सीधी जिले के मझौली ब्लॉक के मड़वास तहसील अंतर्गत आदिवासी जूनियर बालक छात्रावास मड़वास के अधीक्षक राघवेंद्र अहिरवार के खिलाफ कई शिकायत जिला कलेक्टर सीधी, मझौली एसडीएम एवं आदिवासी जनजातिय विभाग सीधी को दी गई थी। वहीं अभी मंगलवार को कलेक्टर की जनसुनवाई में भी अभिभावक एवं छात्रावास के बच्चे शिकायती आवेदन लेकर पहुंचे थे। कलेक्टर ने इसको गंभीरता से लेते हुए एसडीएम मझौली के नेतृत्व में जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे।जिसको लेकर आज आदिवासी जनजाति विभाग सीधी की टीम द्वारा चलने से पहले छात्रावास अधीक्षक को सूचना दे दी गई कि हम लोग आ रहे हैं बच्चों को बुला लिया जाए ।फलतः अधीक्षक सुबह 20 से 25 बच्चों को बुलाकर छात्रावास में रखे हुए थे ।तभी सीधी से जनजाति आदिवासी विभाग की टीम पहुंची। इसके बाद दोपहर 1:30 बजे के करीब मझौली एसडीएम आरपी त्रिपाठी अपने टीम के साथ मडवास छात्रावास पहुंचे। इस दौरान मड़वास नायब तहसीलदार धन कुमार टोप्पो भी मौजूद रहे। वहीं ग्राम पंचायत के तत्कालीन सरपंच राम भजन जायसवाल की मौजूदगी देखी गई। जहां देर शाम तक छात्रावास की जांच चलती रही। अब देखना यह होगा कि छात्रावास के अधीक्षक एवं कमियों को लेकर क्या कार्रवाई होती है।

 

 

अधीक्षक पर लगे हैं गंभीर आरोप –

 

छात्रावास के बच्चों एवं अभिभावकों का आरोप है कि अधीक्षक राघवेन्द्र अहिरवार दो वर्षों से बच्चों के मुंह का निवाला छीनने का काम कर रहे हैं। कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। शराब के नशे में बच्चों के साथ गाली-गलौच की जाती है। अभिभावकों का कहना है कि 50 सीटर छात्रावास में पूरे प्रवेश दिए गए है। जुलाई माह से ही अधीक्षक राघवेन्द्र अहिरवार द्वारा बच्चों को छात्रावास में रहने से मना किया जा रहा है। जिसके चलते यहां केवल 12 बच्चे ही छात्रावास में अधिकांशत: रहते हैं। छुट्टी एवं अन्य अवसरों पर जो छात्र यहां रहते हैं उनको भी छात्रावास से घर जाने के लिए कहा जाता है। वहीं छात्रावास के बच्चों को काम करने के लिए भी दबाव बनाया जाता है। अधीक्षक जो भी खाद्य सामग्री छात्रावास में आती है उसको अपने गृह ग्राम ले जाते हैं। दो वर्ष से अधीक्षक की मनमानी बनी हुई है। आरोप है कि आदिवासी जूनियर छात्रावास मड़वास में रहने वाले बच्चों से गाली-गलौच की जाती है। जिसके कारण बच्चे छात्रावास भी जाने को तैयार नहीं होते। ठंड के दिनों में जो नए कंबल आए थे उसको अधीक्षक घर ले गए और पुराने कंबल का ही बच्चे उपयोग कर रहे हैं। छात्रावास में अधीक्षक के परिवार एवं रिश्तेदार भी डेरा डाले रहते हैं और बच्चों को छात्रावास से घर रहने के लिए भेज दिया जाता है। अधीक्षक की शिकायत पिछले वर्ष भी हुई थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई। जिसके चलते अधीक्षक की मनमानी और भी ज्यादा इस वर्ष बढ़ चुकी और बच्चे छात्रावास में नहीं रह पा रहे हैं।

 

इनका कहना है –

 

मड़वास छात्रावास में देर रात तक गाड़ियों का आना-जाना बना रहता है। लोग पीने खाने यहां पर आते हैं। पीने खाने के बाद यहां पर गाली गलौज अधीक्षक के द्वारा छात्रावास में किया जाता है ।हमने कई बार मना भी किया है।

 

रोहित सेन,चौकीदार पानी टंकी

 

 

इनका कहना है –

 

जिला कलेक्टर के निर्देश के बाद मडवास छात्रावास की जांच की गई। जांच प्रतिवेदन बनाकर जिला कलेक्टर के पास जल्द ही भेजा जाएगा।

 

आरपी त्रिपाठी, एसडीएम मझौली

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