इको टूरिज्म : रोड मैप व एक्शन प्लान बनें

यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि मध्य प्रदेश के माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व में बदलने की मंजूरी मिल गई है इस संबंध में जल्दी ही नोटिफिकेशन और अन्य औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी. माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व में बदलने के साथ ही अब कूनो नेशनल पार्क और माधव नेशनल पार्क में चीतों के लिए विस्तारित अभ्यारण्य बनने का रास्ता साफ हो गया है. जाहिर है इससे मध्य प्रदेश के ईको पर्यटन को लाभ मिलेगा. यह लाभ समग्र रूप से बढ़े इसके लिए प्रदेश सरकार को आधारभूत ढांचा और मजबूत करने के लिए एक रोड मेप और एक्शन प्लान बनाना चाहिए. दरअसल, शिवपुरी स्थित माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाने के लिए नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी एनटीसीए ने रविवार को मंजूरी दे दी. यहां अभी एक नर और दो मादा बाघ हैं. एनटीसीए की मंजूरी मिलने के बाद अब माधव राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व के रूप में नोटिफाई करने का प्रस्ताव राज्य शासन को भेजा जाएगा.एनटीसीए ने यहां नर और मादा बाघों के एक और जोड़े को छोडऩे के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व बनने से बाघों के संरक्षण के साथ-साथ कूनो नेशनल पार्क में चल रही चीता परियोजना को भी फायदा होगा. इससे पूरे नॉर्थ सेंट्रल इंडिया में वन्य जीव संरक्षण के साथ इको टूरिज्म की संभावनाएं काफी बढ़ जाएंगी, क्योंकि माधव टाइगर रिजर्व कूनो नेशनल पार्क से काफी नजदीक है. इस खबर के साथ ही एक और खबर राहत देने वाली है कि विकसित मध्य प्रदेश के लिए तैयार किए जा रहे विजन डॉक्युमेंट मध्य प्रदेश – 2047 के लिए जो प्लान बनाया जा रहा है,उसमें वन विभाग की ओर से प्रस्तावित किए गए एक्शन प्लान में 2047 तक मध्य प्रदेश के सभी सात टाइगर रिजर्व समेत 11 नेशनल पार्क और 22 वाइल्ड लाइफ सेंचुरी को दक्षिण अफ्रीका के नेशनल पार्कों की तरह 100 $फीसदी इंसानी आबादी से मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है. ऐसा करने के लिए नेशनल पार्क और सेंचुरी के बफर जोन में बसे 500 गांवों का विस्थापन और पुनर्वासन किया जाएगा. इसी के साथ राज्य सरकार ने यह भी निश्चित किया है कि वन्य प्राणियों की सुरक्षा के साथ ही इंसानों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगभग हर जिले में एडवांस रेस्क्यू सिस्टम स्थापित किए जाएंगे जो फायर ब्रिगेड की तरह क्विक रिस्पांस के साथ समस्या ग्रस्त इलाके में पहुंचकर वन्य जीवों को पकड़ कर वापस जंगल में छोडऩे का काम करेंगे. जाहिर है ईको और लोक पर्यटन की दृष्टि से मध्य प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं, जिनका योजना बनाकर व्यवस्थित दोहन किया जा सकता है. पर्यटन मध्य प्रदेश की यूएसपी यानी विशेषता है. इस पर और अधिक फोकस करने की जरूरत है. इसी के साथ उम्मीद की जानी चाहिए कि रातापानी वाइल्ड सेंचुरी को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा मिलेगा, क्योंकि वहां अभी 90 के करीब बाघ हैं. बहरहाल, अब टाइगर रिजर्व होने के बाद माधव नेशनल पार्क में बाघों के संरक्षण की भी चिंता करने की उतनी ही आवश्यकता है. मध्य प्रदेश में वन्य जीवों को जंगल माफिया से खतरा रहता है. इन माफियाओं की गतिविधियां खास तौर पर महाकौशल में देखी गई हैं. टाइगर संरक्षण के लिए वन विभाग और पुलिस के समन्वय से एक टास्क फोर्स बनाया जा सकता है. मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा पहले से ही हासिल है . जाहिर है वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के मामले में मध्य प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नक्शे पर तेजी से उभर रहा है. पर्यटन विभाग को चाहिए कि प्रोफेशनल तरीके से इसकी व्यवस्थित मार्केटिंग की जाए और प्रॉपर ब्रांडिंग हो, जिससे विदेशी पर्यटकों को भी मध्य प्रदेश में आकर्षित किया जा सके. सरकार उज्जैन के सिंहस्थ के लिए व्यापक स्तर पर योजनाएं बना रही है जिससे विदेशी सैलानियों को आकर्षित किया जा सके . मध्य प्रदेश में इको पर्यटन के लिए भी यही सोच रखा जाना चाहिए.

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