यह आंकड़ा चिंता जनक है कि,यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) से जुड़ी धोखाधड़ी की रकम 2023-24 में 1,087 करोड़ रुपये हो गई जो 2022-23 के 573 करोड़ रुपये से 85 प्रतिशत अधिक थी.अर्थात् देश के डिजिटल भुगतान परिदृश्य में इस असाधारण वृद्धि के साथ ही धोखाधड़ी के मामलों में भी इजाफा हुआ है. केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने हाल ही में संसद के सामने जो आंकड़े पेश किए वे इस बात की पुष्टि करते हैं.भुगतान संबंधी धोखाधड़ी के मामले भी 2022-23 के 7.25 लाख से बढक़र 2023-24 में 13.4 लाख तक पहुंच गए. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारत में यूपीआई भुगतान धोखाधड़ी के 6.32 लाख मामले सामने आए। इनमें करीब 485 करोड़ रुपये की राशि शामिल थी. ये आंकड़े चिंताजनक हैं और भविष्य में इसका इस्तेमाल करने वालों को प्रभावित कर सकते हैं.डिजिटल भुगतान लेनदेन का कुल आकार 2017-18 के 2,017 करोड़ से बढक़र 2023-24 में 18,737 करोड़ हो गया. इस दौरान चक्रवृद्धि सालाना वृद्धि दर (सीएजीआर) 44 फीसदी रहा. इसी तरह समान अवधि में लेनदेन का मूल्य 11 प्रतिशत सीएजीआर के साथ 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढक़र 3,635 लाख करोड़ रुपये हो गया.
चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में लेनदेन का आकार करीब 86.59 अरब रहा जबकि कुल लेनदेन का मूल्य 1,669 लाख करोड़ रुपये का था.डिटिजल लेनदेन में यूपीआई सबसे बड़ा माध्यम था. कुल लेनदेन में यह करीब 80 प्रतिशत का हिस्सेदार रहा और कम भुगतान करने वाले लोगों का सबसे पसंदीदा माध्यम रहा.इस संदर्भ में भुगतान और लेनदेन को सुरक्षित करना सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है.अतीत में कई पहल की गईं ताकि देश में डिजिटल धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों को नियंत्रित किया जा सके.इसमें बहुकारक प्रमाणन व्यवस्था, रोजाना लेनदेन की सीमा और यूपीआई ऐप्लीकेशंस में इनक्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल किया गया.
जैसे-जैसे तकनीक का विकास जारी है, साइबर अपराधी भी बेहतर से बेहतर सुरक्षा उपायों को बेधने में सक्षम होते जा रहे हैं. मैलवेयर और स्पाईवेयर के जरिये फिशिंग अटैक अब बहुत अधिक आम हो चुके हैं. जैसे-जैसे यूपीआई की पहुंच बढ़ रही है और वह विदेशों में भी सफलतापूर्वक काम कर रहा है तो यह महत्त्वपूर्ण है कि उपभोक्ताओं में जागरूकता बढ़ाई जाए और लोगों को धोखाधड़ी से बचाया जाए.धोखाधड़ी से प्रभावी ढंग से बचने में उपभोक्ताओं का अनुभव और जोखिम की निगरानी शामिल है.इसके साथ ही वित्तीय संस्थानों मसलन बैंकों आदि को तकनीकी कंपनियों के साथ तालमेल करके सुरक्षा, डेटा निजता और धोखाधड़ी जोखिम प्रबंधन में नए दौर के उपायों को शामिल करना होगा.ये फर्म्स धोखाधड़ी निरोधक डेटा एनालिटिक्स पर काम करती हैं और आर्टिफिशल इंटेलिजेंस और उन्नत अनुमान मॉडल की मदद से डिजिटल भुगतान में सुरक्षा जोखिमों और विभिन्न स्तरों पर धोखाधड़ी की आशंकाओं का पता लगाती हैं ताकि जोखिम कम किया जा सके.भारत डिजिटल लेनदेन में अग्रणी देश है.खासतौर पर कम मूल्य वाले लेनदेन में जिसने उपभोक्ताओं और छोटे कारोबारियों को असीमित लाभ दिए हैं. ऐसे में धोखाधड़ी को रोका ही जाना चाहिए.एनपीसीआई और वित्तीय संस्थानों दोनों को तकनीकी सुधार और उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए.