पुराने चिकित्सा उपकरणों के आयात से मेक इन इंडिया को नुकसान, जन स्वास्थ्य को खतरा

पुराने चिकित्सा उपकरणों के आयात से मेक इन इंडिया को नुकसान, जन स्वास्थ्य को खतरा

नयी दिल्ली 25 अक्टूबर (वार्ता) चिकित्सा उपकरण उद्योग ने पुराने और प्रयोग किये गये चिकित्सा उपकरणों के आयात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया अभियान को हानि पहुंच रही है बल्कि आम जनता के स्वास्थ्य को भी खतरा पैदा हो गया है।

पीएचडी चैंबर आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री, एसोशिएशन आफ इंडियन मेडिकल डिवाइसेस, मैन्युफैक्चरर्स आफ इमेंजिंग, थेरेपी एंड रेडियाेलॉजी डिवाइसेस एसोशिएशन और एसोशिएशन आफ डायग्नोस्टिक मैन्युफैक्चरर्स आफ इंडिया ने शुक्रवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के अधीन स्वास्थ्य सेवायें महानिदेशालय ने हाल में ही पुराने और प्रयोग किये गये चिकित्सा उपकरणों के आयात को अनुमति दी है जो बेहद चिंताजनक है।

संगठनों का कहना है कि ये ऐसे अत्याधुनिक उपकरण है जो भारत में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत बनाये जा रहे हैं और उनकी बाजार में पर्याप्त आपूर्ति है। इसलिए इस कदम से चिकित्सा उपकरण में आत्मनिर्भरता करने के प्रयासों को धक्का लगेगा और यह प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान के विरुद्ध होगा। इसके अलावा आयात किये गये चिकित्सा उपकरण पहले से प्रयोग में लाये जा चुके होते हैं इसलिए राेगियों के लिए भी संकट पैदा कर सकते हैं। प्रयोग किये जा चुके चिकित्सा उपकरण मूल रुप से पुरानी तकनीक के होते हैं और उनकी गुणवत्ता भी मानक के अनुरुप नहीं होती है।

फार्मा उद्योग संगठनों का कहना है कि पुराने चिकित्सा उपकरणों के आयात से घरेलू चिकित्सा उपकरण उद्योग को धक्का लगेगा और इस क्षेत्र में निवेश में भी कमी आयेगी। इससे देश के उत्पादन क्षमता भी प्रभावित होगी। इससे स्टार्टअप और छोटे उद्याेग भी प्रभावित होंगे और रोजगार के अवसरों पर भी असर पड़ेगा।

वर्ष 2023 और वर्ष 2024 में देश में निर्मित समान उत्पादों की उपलब्धता के बावजूद पुराने और प्रयोग किये गये चिकित्सा उपकरणों के आयात की अनुमति दी गयी है। देश में सरकार के हाल के प्रयासों से फार्मा उद्योग ने अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाले उपकरण विकसित किए हैं, जिनका भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा संस्थानों दोनों में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। पिछले दस वर्षों में, भारत ने स्थानीय उत्पादों में वृद्धि हुई है और उच्च-स्तरीय और उच्च-मूल्य वाले चिकित्सा उपकरणों के लिए निर्यात किया गया है।

एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री के समन्वयक राजीव नाथ ने कहा कि आयातित पुराने चिकित्सा उपकरणों पर अक्सर गलत लेबल लगा होता है, जिससे मरीज की सुरक्षा को बड़ा खतरा हो सकता है। हालांकि देश में पुराने चिकित्सा उपकरणों के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देशों की कमी के कारण उचित निगरानी के बिना घटिया उपकरण आयात हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि पुराने चिकित्सा उपकरणों को आयात की अनुमति देने से सरकार की नीतियों में विरोधाभास पैदा हो गया है और स्थानीय उत्पादों पर बुरा असर पड़ रहा है। उच्च-स्तरीय चिकित्सा उपकरणों के लिए हाल ही में शुरू की गई कई परियोजनाएँ अब खतरे में हैं, बल्कि रोगी सुरक्षा भी जोखिम में है। उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा उद्योग शोध में निवेश कर रहे हैं और ‘मेक इन इंडिया’ विजन के साथ उच्च तकनीक का नवाचार कर रहे हैं। इस आयात घरेलू प्रगति में निवेश भी हतोत्साहित होगा।

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