राजनीति में इस तरह के बयान उचित नहीं

भारतीय राजनीति का यह दौर कल्पना से परे है. स्वाधीनता आंदोलन और उसके बाद के लगभग 6 दशक ऐसी राजनीति के रहे हैं जहां देशभक्ति और सेवा को राजनीति का माध्यम माना जाता था. पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1947 में जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली तो उन्होंने अपने घोर वैचारिक विरोधी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया.वो दौर ऐसा था जब महात्मा गांधी को वीर सावरकर से संवाद करने में परहेज नहीं था. आजादी के काफी वर्ष तक इस तरह की राजनीति जारी रही लेकिन पिछले एक, डेढ़ दशक में सौम्यता और सौजन्यता की राजनीति का पूरी तरह से लोप हो गया है. इसके लिए सभी राजनीतिक दल दोषी हैं.बहरहाल, हाल ही में भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और सांसद डॉ संबित पात्रा ने अपनी पार्टी के राष्ट्रीय मुख्यालय में पत्रकार वार्ता लेते हुए राहुल गांधी को गद्दार कहा. राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं और 99 लोकसभा सीटों वाली कांग्रेस के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. उनके बयानों या उनके तेवर को लेकर कठोर से कठोर आलोचना की जा सकती है लेकिन उन्हें गद्दार कहना कतई न्याय संगत नहीं लगता. राहुल गांधी के अलावा सोनिया गांधी पर भी भाजपा के तमाम बड़े नेता संसद और संसद के बाहर देशद्रोह के आरोप लगा रहे हैं. इस तरह के आरोपों को बिल्कुल भी स्वीकार नहीं किया जा सकता. सोनिया गांधी पिछले 26 वर्षों से लगातार सांसद हैं. उन्होंने प्रधानमंत्री पद का त्याग कर अपनी कुर्सी डॉक्टर मनमोहन सिंह को सौंपी थी. राहुल गांधी भले ही कई बार विवादास्पद बयान दे देते हैं लेकिन सोनिया गांधी ने हमेशा गरिमा और सौम्यता का ध्यान रखा है. दरअसल,गांधी – नेहरू परिवार को देशद्रोही कहना भारत की जनता कभी भी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि इस परिवार ने देश के लिए अनेक बार शहादत दी है. पंडित मोतीलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं. जबकि जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष और प्रधानमंत्री रहने के अलावा स्वाधीनता संघर्ष के दौरान 13 वर्षों तक जेल में रहे. श्रीमती गांधी भी जेल में रही हैं और उन्होंने देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया. ऐसा ही बलिदान राजीव गांधी ने भी दिया है. स्वर्गीय राजीव गांधी के पिता फिरोज गांधी भी देश के सांसद और स्वाधीनता सेनानी रहे हैं उन्होंने भी गांधी जी से प्रेरित होकर अनेक बार संघर्ष किया है और जेल यात्रा की है. नेहरू गांधी परिवार के कम से कम आधा दर्जन अन्य लोग जिनमें विजय लक्ष्मी पंडित शामिल हैं, स्वाधीनता संघर्ष में अनेक बार जेल गए हैं. जाहिर ऐसे परिवार पर गद्दारी का आरोप लगाना बिल्कुल भी उचित नहीं है. जिस तरह से भाजपा राहुल को गद्दार कहकर गलती कर रही है,वैसी ही गलती कांग्रेस ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर की थी. राफेल के विवाद में कांग्रेस ने चौकीदार चोर का नारा लगाया था जिस पर भारत की जनता ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए 2019 में कांग्रेस को सबक सिखाया था. जाहिर है भाजपा को उस घटनाक्रम से सबक लेना चाहिए. जनता पार्टी की सरकार के समय जब जस्टिस शाह कमीशन के जरिए इंदिरा गांधी को जेल में डालने की कोशिश की गई थी तब भी भारत की जनता ने इसे स्वीकार नहीं किया था. नतीजा यह हुआ कि 1980 में इंदिरा गांधी दो तिहाई बहुमत के साथ सत्ता में लौटी थी. कुल मिलाकर सार्वजनिक जीवन में वैचारिक मतभेद व्यक्तिगत दुश्मनी में नहीं बदलना चाहिए. राहुल या सोनिया की राजनीतिक आचरण या बयानों को लेकर आलोचना की जा सकती है लेकिन उन्हें गद्दार कहना कतई उचित नहीं है.

 

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