दीपावली के पूर्व शुभ संयोग से खिले व्यापारियों के चेहरे
शाजापुर, 23 अक्टूबर. धनतेरस और दीपावाली से पहले आज पुष्य नक्षत्र आ रहा है. गुरुवार को आने से इस योग का और अधिक महत्व बढ़ गया है. माना जाता है कि गुरु पुष्य नक्षत्र में खरीदी गई वस्तु लंबे समय तक उपयोगी रहती है. इस शुभ संयोग से व्यापारियों के चेहरे खिल गए हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि शुभ संयोग में लोग बड़ी संख्या में खरीदारी के लिए बाजार पहुंचेंगे.
पंडित और ज्योतिषाचार्य गिरजेश चतुर्वेदी ने बताया कि यूं तो हर महीने पुष्य नक्षत्र आता है, लेकिन कार्तिक मास में आने वाले पुष्य नक्षत्र का महत्व अलग होता है. उसमे भी गुरु पुष्य नक्षत्र शुभ संयोग के साथ ही सर्वार्थ सिद्धि का योग लेकर आता है. उन्होंने बताया कि 24 अक्टूबर गुरु पुष्य नक्षत्र सुबह 6.35 मिनट से शुरू होगा. इसकी समाप्ति 25 अक्टूबर को सुबह 7.35 मिनट पर होगी. इस दौरान सोना, चांदी के आभूषण, वाहन सहित अन्य वस्तुएं खरीदना शुभ माना जाता है.
सज गए बाजार, बढऩे लगी रौनक
दीपोत्सव पर्व का श्रीगणेश अगले सप्ताह से होगा और शहरवासियों को इस पर्व का बेसब्री से इंतजार है. चारदिवारी सहित शहरभर के बाजारों में सजावट की जा रही है और विशेष खरीदारी स्कीमों की घोषणा की गई है. दीपावली से पहले की खरीदारी का सबसे बड़ा महामुहूर्त गुरु-पुष्य नक्षत्र का संयोग 24 अक्टूबर को रहेगा. इस महासंयोग में वाहन, मकान, दुकान, कपड़े, सोना-चांदी, बर्तन की खरीदी-बिक्री की जा सकती है.
भगवान श्री गणेश की पूजा का महत्व…
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार पुष्य नक्षत्र सभी नक्षत्रों में सबसे अच्छा माना जाता है. इसे शास्त्रों में अमरेज्य भी कहा गया है. इस दिन भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व है. दिवाली से पहले भगवान राम ने पुष्य नक्षत्र में ही राज्य ग्रहण किया था और अर्जुन ने कौरव सेना को परास्त किया था. पंडितों के अनुसार आठवें नक्षत्र पुष्य को सभी नक्षत्रों में खास माना जाता है. गुरु पुष्य योग में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा का विशेष महत्व है. गुरुवार या रविवार को आने वाला पुष्य नक्षत्र श्रेष्ठ माना जाता है. यह नक्षत्रों का राजा है और इसके स्वामी गुरु हैं, जो शुभ के कारक हैं. ऋग्वेद में इसे मंगलकर्ता, वृद्धिकर्ता, आनंदकर्ता और शुभ माना गया है. खरीदारी और प्रॉपर्टी में निवेश लंबे समय तक लाभदायक होगा.