आतंकवाद : कठोर कदम जरूरी

केंद्र सरकार ने हिज्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) को आंतकवादी संगठन घोषित करते हुए उसे देश में प्रतिबंधित कर दिया. गृह मंत्रालय ने कहा कि इसका उद्देश्य जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर इस्लामी देश और खिलाफत स्थापित करना है. वैश्विक इस्लामी समूह एचयूटी 1953 में यरुशलम में बनाया गया था.अधिसूचना में कहा गया है कि एचयूटी विभिन्न सोशल मीडिया मंच, सुरक्षित ऐप का उपयोग करके और ‘दावाह’ (निमंत्रण) बैठक करके युवाओं को आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करके आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है.

एचयूटी एक ऐसा संगठन है जिसका उद्देश्य देश के नागरिकों को (समूह में) शामिल करके जिहाद और आतंकवादी गतिविधियों के माध्यम से लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकारों को उखाड़ भारत सहित दुनिया भर में इस्लामी राष्ट्र और खिलाफत स्थापित करना है। यह देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था और आंतरिक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है.इस समूह को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित करते हुए अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार का मानना है कि हिज्ब-उत-तहरीर आतंकवाद में शामिल है और भारत में आतंकवाद के विभिन्न कृत्यों में लिप्त हुआ है. प्रतिबंध एचयूटी और उसके सभी स्वरूपों तथा मुखौटा संगठनों पर प्रभावी होगा. केंद्र सरकार का यह फैसला सही है लेकिन ऐसा लगता है कि इसे लेने में देर कर दी गई. यह फैसला बहुत पहले लिया जाना था. दरअसल आतंकवाद का समूल नाश जरूरी है. हर तरह का आतंकवाद मानवता और विश्व शांति के लिए खतरा है. इसी तरह नक्सलवाद को भी समाप्त किया जाना चाहिए. हाल ही में नारायणपुर-दंतेवाड़ा जिलों की सीमा पर पुलिस बल ने 31 नक्सलियों को मार गिराया. छत्तीसगढ़ राज्य गठन के 24 साल बाद से किसी एक अभियान में माओवादियों-आतंकियों की यह सर्वाधिक मौतों की संख्या है. दरअसल,आतंकवाद चाहे जम्मू-कश्मीर का हो, नक्सलियों का, पूर्वोत्तर में या फिर पंजाब में खालिस्तान का रहा हो, देश ने आंतरिक सुरक्षा में की गई लापरवाही की भारी कीमत चुकाई है.

लापरवाही और उपेक्षापूर्ण नीतियों के साथ ही राजनीतिक फायदे के लिए की गई आतंकवाद की अवहेलना की कीमत मानवता ने भी चुकाई है. 25 मई 2013 को, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के नक्सली विद्रोहियों ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में दरभा घाटी की झीरम घाटी में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हमला किया.इस हमले में कम से कम 27 लोगों की मौत हो गई, जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्या चरण शुक्ला, पूर्व राज्य मंत्री महेंद्र कर्मा और छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रमुख नंद कुमार पटेल की मौत हो गई.हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ समीक्षा बैठक में सही कहा कि 2026 में नक्सलवाद को खत्म कर देंगे. शाह ने कहा कि 30 साल के बाद पहली बार वामपंथी उग्रवाद से मरने वाले लोगों की संख्या 100 से कम रही है. हिंसा की घटनाओं में करीब 53 प्रतिशत की कमी आई है.

बहरहाल, केंद्र सरकार में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है.सरकार की सख्त सुरक्षा नीतियों के कारण पाक परस्त आतंकियों के हौसले पस्त हुए है.जम्मू-कश्मीर में कुछ आतंकी वारदातों के सिवाय देश में कहीं भी बम धमाके नहीं हुए. इसमें महत्वपूर्ण सफलता धारा 370 हटने के बाद मिली, जिससे पत्थरबाजी खत्म होने के साथ विकास की नई इबारत लिखी गई. कुल मिलाकर आतंकवाद चाहे पाकिस्तान स्पॉन्सर्ड हो या चीन द्वारा सभी तरह का आतंकवाद मानवता का दुश्मन है. इससे दुनिया की शांति प्रभावित होती है. जाहिर है इसका समूल नाश जरूरी है.

 

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