एमपीआरडीसी सड़कों के टोल प्लाजा सरकार के हाथ में

टोल टैक्स की चोरी पर लगाम कसने उठाया कदम

इंदौर:मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के अंतर्गत जितनी सड़कें हैं, अब उन सभी पर टोल टैक्स वसूली सरकार द्वारा की जा रही है. इसका कारण यह है कि सड़क बनाने वाली कंपनी टोल टैक्स में घाटा बता कर स्वयं लाभ ले रही थी, सरकार ने अब योजना बदल कर टोल के टेंडर खुद की मॉनिटरिंग के साथ शुरू कर दिए है. प्रदेश की सभी सड़कों के टोल की मॉनिटरिंग एमपीआरडीसी कार्यालय में की जा रही है.
प्रदेश में सड़क बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां ही सड़क का टोल टैक्स वसूल करती थी. यह पैसा सरकार के खजाने में जाता है. सरकार सड़क बनाने पैसा कंपनियों को देती है, उसके एवज में सड़क बनाने वाली कंपनी टोल टैक्स वसूल करती थी. यह राशि करोड़ों में होती है.

यूं हो रही थी चोरी
सूत्रों की माने तो सरकार ने यह कदम टोल प्लाजा पर कंपनियों द्वारा की जा रही चोरी को रोकने के लिए उठाया है. एक उदाहरण के अनुसार ज्यादातर टोल प्लाजा पर मल्टी एक्सेल और बड़े कंटेनर एक तरफ खड़े देखने में आते है. इनको टोल प्लाजा पर कंपनी के कर्मचारियों द्वारा साइड में जानबूझकर खड़ा करवाया जाता है. जब ज्यादा टाइम हो जाता है, तो बड़े कंटेनर और मल्टी एक्सेल के ट्रालो से पैसा लेकर डबल एक्सेल बता कर पास कर दिया जाता है. इसमें मल्टी एक्सेल की जगह डबल एक्सेल बताने से एक कंटेनर और ट्राले में निर्धारित दर में वसूली का बड़ा अंतर है. डबल एक्सेल में पास करने के साथ ऊपरी तौर पर पैसा लेकर चोरी हो रही थी. बताया जाता है कि एक एक टोल प्लाजा पर कंपनियों के कर्मचारियों द्वारा रोज दो से तीन लाख रुपए वसूले जा रहे थे. सरकार को हर टोल प्लाजा पर यह नुकसान बताकर घाटा दिखाया जाता है.

सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम
उक्त चोरी पर लगाम कसने के लिए सरकार प्रदेश की सभी सड़कों के टोल प्लाजा के टेंडर स्वयं के कंपनियों को देकर सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम लगा दिया है. प्रदेश में हर टोल प्लाजा की एमपीआरडीसी के कार्यालय में कंप्यूटर द्वारा वाहनों की गिनती और प्राप्त राशि की साप्ताहिक गणना शुरू हो चुकी है.

सरकार को होगा फायदा
टोल प्लाजा टेंडर लेने वाली कंपनी की सरकार के पास सिक्योरिटी राशि भी जमा है. गड़बड़ होने पर सरकार सिक्योरिटी डिपाजिट से सरकार राशि काट लेती है. खास बात यह है कि सरकार द्वारा सड़क मेंटेनेंस का पैसा टेंडर के अनुसार सरकार अलग से देती है. मेंटेंस के नाम पर कंपनियों द्वारा टेंडर राशि से कई गुना ज्यादा राशि वसूल करने के बाद भी घाटा बताया जाता था. अब इस पर रोक लगाने से सरकार को फायदा मिलेगा, ऐसा कहा जा सकता है.

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