मां बगलामुखी के दरबार में उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सैलाब

(निकुंज माहेश्वरी) नलखेड़ा,2 अक्टूबर. आगर-मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा मां बगलामुखी मंदिर स्थित है. यहां पर दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है. नवरात्रि में नौ दिन तक लाखों भक्तों का ताता लगा रहता है. तीन मुख वाली त्रिशक्ति माता बगलामुखी का यह मंदिर लखुंदर नदी के किनारे स्थिति है. मध्य में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती है. नवरात्रि में देश के कई स्थानों के साथ ही विदेश से भी माता भक्त आते हैं. विजय प्राप्ति के लिए यहां तांत्रिक हवन अनुष्ठान भी किए जाते है. मां पीतांबरा को पीतांबरा सेवा समिति द्वारा छप्पन भोग लगाकर नौ दिवसी नि:शुल्क भंडारे का आयोजन किया जाएगा.
तंत्र साधना, महाभारत में विजय प्राप्ति के लिए पांडवों ने कराई थी स्थापना, उज्जैन से 100 किलोमीटर दूर आगर मालवा जिले के नलखेड़ा में स्थित विश्व प्रसिद्ध पीतांबरा सिद्ध पीठ मां बगलामुखी का मंदिर तंत्र साधना के प्रमुख स्थलों में शामिल है. उज्जैन के बाद नलखेड़ा में स्थित मां बगलामुखी मंदिर का नाम आता है. मान्यता यह भी है कि माता बगलामुखी की मूर्ति स्वयंभू है. बताया जाता है कि ईस्वी सन् 1816 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया, महाभारतकाल में भगवान कृष्ण के कहने पर ही कौरवों से विजय के लिए पांडवों ने यहां मां बगलामुखी की आराधना की थी. साधना आराधना अनंत गुना फल की प्राप्ति होती है. जब कभी शत्रु का भय हो तो बगलामुखी की साधना आराधना आराधक को फलदायी रहती है. वहीं मां की आराधना से शत्रु का स्तंभन भी होता है. बगलामुखी मंदिर महाभारतकालीन है. मां बगलामुखी का वर्णन कालीपुराण में मिलता है. वर्ष की दोनों नवरात्र शारदीय और चैत्र नवरात्र में मंदिर में लाखों भक्तों का तांता लगा रहता है. साथ ही दोनों नवरात्र में तंत्र साधना के लिए तांत्रिकों का जमावड़ा भी यहां लगा रहता है. मंदिर में त्रिशक्ति मां विराजित है. मध्य में मां बगलामुखी, दाएं मां लक्ष्मी तथा बाएं मां सरस्वती है. नवरात्र पर्व के दौरान यहां देश के कई स्थानों के साथ ही विदेशों से भी माता भक्त लाखों की संख्या में आते हैं ,मंदिर में तंत्र साधना के साथ यहां कई तरह के यज्ञ हवन और ऐसे अनुष्ठान होते हैं जो आम मंदिरों में नहीं होते. यहां शत्रु के नाश, चुनाव में जीत और कोर्ट केस मे विजय प्राप्ति के लिए व निपटारे के लिए विशेष पूजन होता है. आम भक्त ही नहीं यहां न्यायधीश, राजनेता, फिल्म एक्टर जैसे वीवीआईपी भक्त भी आते हैं जो अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए विशेष हवन अनुष्ठान यहां करते हैं. मां भगवती बगलामुखी का महत्व समस्त देवियों में सबसे विशिष्ट है. शास्त्र के अनुसार इस देवी की साधना आराधना से शत्रुओं का स्तंभन हो जाता है. यह साधक को भोग और मोक्ष दोनों ही प्रदान करती है.

सिद्धपीठ मां बगलामुखी के दरबार में दिखेगी स्वर्ण एवं रजत आभा

विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी का दरबार स्वर्ण व रजत आभा से दमकेगा. दरअसल, गर्भ गृह में रजत सौंदर्यीकरण प्रथम चरण के कार्य का शुभारंभ मां की पूजा अर्चना कर किया गया. शुभारंभ के पूर्व गर्भ ग्रह में स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज, क्षेत्र के सांसद रोडमल नागर, बाबा रामदेव धाम टिकोन के सेवक शिवनारायण पाटीदार, मां बगलामुखी मंदिर के मुख्य पुजारी गोपालदास पंडा एवं मनोहरदास पंडा द्वारा गर्भ गृह में बैठकर विधि विधान से मां बगलामुखी की पूजा अर्चना की गई. इसके पश्चात गर्भ ग्रह में सोने एवं चांदी से किए गए सौंदर्यीकरण के कार्य के प्रथम चरण कार्य पूर्ण होने पर शुभारंभ किया गया.

संतान प्राप्ति के लिए दीवार पर बनाते है स्वास्तिक
नलखेड़ा के बागलामुखी मंदिर की पिछली दीवार पर पुत्र रत्न की मनोकामना के साथ स्वास्तिक बनाने का प्रचलन है. भक्त बताते हैं कि मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद मंदिर परिसर में हवन करते हैं, जिसमें पीली सरसों, हल्दी, कमल गट्टा, तिल, जौ, घी, नारियल का होम लगाते हैं. वह बताते हैं कि मंदिर में हवन करने से सफलता की संभावना दोगुनी हो जाती है.

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