मनाया गया पर्यटन दिवस: रीवा प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों से समृद्ध है

विद्यार्थियों को जिले के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराएं: कलेक्टर, रीवा में जयपुर से भी अधिक आकर्षक पर्यटन स्थल हैं: वन मण्डलाधिकारी

नवभारत न्यूज

रीवा, 27 सितम्बर, विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर जिला पर्यटन संवर्धन परिषद द्वारा ऐतिहासिक भवन व्यंकट क्लब में कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए कलेक्टर श्रीमती प्रतिभा पाल ने कहा कि रीवा में धार्मिक पर्यटन, ऐतिहासिक पर्यटन तथा प्राकृतिक पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं.

रीवा में पुरा संपदा तथा समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है. देश के सबसे सुंदर जल प्रपातों में से 6 जल प्रपात इसी क्षेत्र में स्थित हैं. महाराजा मार्तण्ड सिंह व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में हजारों पर्यटक सफेद बाघ के दीदार के लिए आते हैं. हाल ही में इसमें वर्ल्ड एवियरी का शुभारंभ किया गया है. रीवा प्राकृतिक और ऐतिहासिक पर्यटन स्थलों से समृद्ध है. कलेक्टर ने कहा कि हम जब भी किसी पर्यटन स्थल पर जाएं तो उसे साफ-सुथरा रखने का प्रयास करें. सभी विद्यार्थी अपने जिले के पर्यटन स्थलों का भ्रमण अवश्य करें. शिक्षण संस्थाओं के प्रमुख विद्यार्थियों को जिले के पर्यटन स्थलों का भ्रमण कराएं. जिले के पर्यटन स्थलों के विकास के लिए कई कदम उठाए गए हैं. सडक़ों और रेलमार्ग के साथ रीवा मं एयरपोर्ट की भी सुविधा शीघ्र ही शुरू होने वाली है. रीवा में 23 अक्टूबर को रीजनल इंडस्ट्रियल कॉनक्लेव का आयोजन होने जा रहा है. इनसे पर्यटन को गति मिलेगी. सभी विद्यार्थी मोबाइल फोन का उपयोग करके जिले, प्रदेश और देश के पर्यटन स्थलों की जानकारी जुटाकर अपने ज्ञान को समृद्ध करें. कार्यक्रम में वन मण्डलाधिकारी अनुपम शर्मा ने कहा कि मैं जयपुर का निवासी हूँ जो देश का प्रमुख पर्यटन स्थल है. रीवा में जयपुर से बेहतर प्राकृतिक पर्यटन स्थल हैं. जिले के पर्यटन स्थलों को आकर्षक बनाने के लिए इन्हें साफ-सुथरा रखना आवश्यक है. इनमें प्लास्टिक कचरा और अन्य किसी तरह की गंदगी न फैलाएं. अपने रिश्तेदारों तथा परिचितों को रीवा जिले के पर्यटन स्थलों की जानकारी देकर भ्रमण के लिए आमंत्रित करें. पर्यटन उद्योग का विकास होने से रोजगार के बड़े अवसर मिलेंगे.

पर्यटन स्थलो की दिखाई गई लघु फिल्म

कार्यक्रम का संचालन करते हुए समाजसेवी डॉ मुकेश येंगल ने कहा कि रीवा में देश के सबसे बड़े जल प्रपात हैं. यहाँ सिरमौर, गड्डी और ककरेड़ी के वनों में आदिमानव कालीन रॉक पेंटिंग हैं. गुढ़ के समीप भैरवनाथ की लेटी हुई विशाल प्रतिमा, महामृत्युंजय मंदिर तथा अन्य कई मंदिर हैं. ऐतिहासिक व्यंकट भवन 117 साल से बघेली स्थापत्य की गवाही देते खड़ा है, जिसमें प्रदेश की एक मात्र जीवित सुरंग है. कार्यक्रम में अमित पिडि़हा ने प्रजेंटेशन के द्वारा अजंता और एलोरा के स्थापत्य की जानकारी दी. कार्यक्रम में जिले के प्रमुख पर्यटन स्थलों की लघु फिल्म दिखाई गई. कार्यक्रम में संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय अनिल दुबे, जिला प्रबंधक ई गवर्नेंस तथा सचिव जिला पर्यटन संवर्धन समिति आशीष दुबे, प्राचार्य शासकीय कन्या महाविद्यालय डॉ विभा श्रीवास्तव, माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय रीवा परिसर प्रभारी डॉ. सूर्य प्रकाश प्राध्यापकगण, श्यामनारायण शर्मा, इतिहासकार असद खान, विभिन्न, विद्यालयों तथा कन्या महाविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन शाहिद परवेज ने किया.

पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता

रीवा में पर्यटन को बढ़ावा देने की आवश्यकता है. जल प्रपात से लेकर बहुत कुछ है जो पर्यटको को आकर्षित करता है. लेकिन शासन-प्रशासन द्वारा इस क्षेत्र में कोई ठोस प्रयास नही किये गये. रीवा से पर्यटक बनारस और प्रयागराज निकल जाते है और इसी तरह सीधे खुजराहो निकलते है. लेकिन में पर्यटन स्थलो को लेकर प्रचार-प्रसार न होने के कारण यहा नही रूकते. पर्यटन स्थलो को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि रोजगार भी मिले.

विश्वविद्यालय में मनाया गया पर्यटन दिवस

अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के पर्यटन विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर विश्व पर्यटन सप्ताह समारोह की शुरुआत की गई. इस कार्यक्रम की शुरुआत विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर राजकुमार आचार्य व कुलसचिव डॉ सुरेंद्र सिंह परिहार ने मां सरस्वती की पूजा अर्चन करने के बाद फीता काटकर की. कार्यक्रम में तीन दिवस विभिन्न तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया है. जिसमें रंगोली, पोस्टर पेंटिंग, मेहंदी, डिबेट, म्यूजिकल चेयर रेस, मटकी फोड़ प्रतियोगिता ,थ्री लेग रेस, स्लो स्कूटी रेस, स्लो बाइक रेस, ऐसे राइटिंग ,स्पीच ,युगल नृत्य, एकल नृत्य, एकल गीत, युगल गीत जैसे विभिन्न कार्यक्रम रखे गए हैं. कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा व परिचय पर्यटन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर महेश चंद्र श्रीवास्तव ने दिया. कार्यक्रम के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका पर्यटन विभाग के शिक्षकों डा0 अनुराग तिवारी, श्रीमती सोनम सिंह, श्रीमती रीना तिवारी, सुश्री निशा गुप्ता के साथ साथ पर्यटन विभाग के समस्त छात्र- छात्राओं की थी. कार्यक्रम में प्रमुख रूप से स्ववित्तीय पाठ्यक्रम के संचालक प्रोफेसर एन .पी.पाठक, पर्यावरण विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अतुल तिवारी, प्रोफेसर आर. एन .पटेल, प्रोफेसर अतुल पांडे, डॉक्टर अनुराग मिश्रा, डॉक्टर कमलेश गौतम, डॉक्टर चंद्रमणि तिवारी, डॉक्टर शंकर लाल यादव, डॉक्टर गोविंद सिंह दांगी के साथ-साथ विश्वविद्यालय के सभी प्राध्यापक और पर्यटन विभाग के छात्र-छात्राए उपस्थित रहे.

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