इंदौर:शहर में इन दिनों आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. पिछले चार माह में सात लोगों ने ऊंचाई से मौत की छलांग लगा कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली.
शहर में इन दिनों ऊंची इमारतों से कूदकर आत्महत्या के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. पिछले चार माह में सात लोगों ने शहर की उंची इमारतों से छलांग लगाकर मौत को गले लगा लिया है. ऐसे मामलों में नवभारत के प्रतिनिधि ने मनोचिकित्सक डॉक्टर मनीष जैन से बात की तो उनका कहना है कि अवसाद में जीने वाले लोग आत्महत्या करने के तरीकों को फॉलो करते हैं. एक क्षेत्र में अगर किसी ने जिस तरह से भी आत्महत्या की होती हैं तो दूसरी आत्महत्या का केस भी उसी तरह को देखा गया है.
उसकी देखादेखी कोई अन्य भी उसे कॉपी कर उसी तरह से आत्महत्या करता लेता हैं. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए परिजनों को विशेष ध्यान रखना चाहिए. आत्महत्या खासकर वो लोग करते हैं जो किसी भी तरह से अवसाद में रहते हैं. यह जरुरी नहीं है कि वह किसी भी परीक्षा में फेल हो गया हो, कोई प्यार में तो कोई नौकरी के तनाव में आकर तो कोई किसी भी तरह के पारिवारिक परेशानी के चलते आत्महत्या कर लेता है. ऐसे मामले संयुक्त परिवार में कम होते हैं क्योंकि वहां परिवार के सदस्य एक दुसरे से ज्यादा बातें करते हैं. आपस में बात करने से समस्या का हल तो निकलता ही हैं साथ ही समस्या का बोझ भी कम हो जाता है. लोगों को यह चाहिए कि वह किसी भी समस्या के चलते आपस में किसी से भी डिस्कस करते रहे. जिससे उन्हें दूसरों की अपेक्षा अपनी समस्या छोटी महसूस होने लगती है. आत्महत्या किसी भी समस्या का हल नहीं हो सकती है. एकांत में रहने व एकांकी जीवन जीने वाले लोगों में यह भावना जल्दी उत्पन्न होती है.
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इन लोगों ने की आत्महत्या
शनिवार को प्रेस काम्प्लेक्स स्थित एक ऊंची इमारत से कक्षा 11 वीं के छात्र विनायक मिश्रा ने छलांग लगा कर आत्म हत्या कर ली. इसी तरह एक महिला सूबेदार ने भी सांतवी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या की थी. वहीं 14 साल की अंजली नामक छात्रा ने भी सातवी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या की थी. लसूडिया थाना क्षेत्र की एक ऊंची इमारत से टीसीएस कंपनी की मैनेजर सुरभि ने भी इसी तरह आत्महत्या की थी. इस घटना के तीन दिन बाद ही बैंक में नौकरी करने वाली एक महिला ने भी ऊंचाई से छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली थी