10 वर्षाें में भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत और टिकाऊ बन गया है: मोदी

मुंबई 01 अप्रैल (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि पिछले 10 वर्षाें में जो बदलाव हुआ है उसके कारण आज भारत के बैंकिंग सिस्टम को दुनिया में एक मतबूज और टिकाऊ सिस्टम माना जा रहा है तथा जो बैंकिंग सिस्टम कभी डूबने की कगार पर था वह बैंकिंग सिस्टम अब प्रॉफिट में आ गया है और क्रेडिट में रिकॉर्ड वृद्धि दिखा रहा है।

प्रधानमंत्री ने यहां भारतीय रिजर्व बैक के 90वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि जब नियत सही होती है तो नीति सही होती है, जब नीति सही होती है तो निर्णय सही होते हैं और जब निर्णय सही होते हैं तो नतीजे सही मिलते हैं। उन्होंने कहा “मैं जब 2014 में रिजर्व बैंक की 80 वर्ष के कार्यक्रम में आया था तब हालत एकदम अलग थे। भारत का पूरा बैंकिंग सेक्टर समस्याओं और चुनौतियों से जूझ रहा था। एनपीए को लेकर भारत के बैंकिंग सिस्टम की स्थरिता और उसके भविष्य को लेकर हर कोई आशंका से भरा हुआ था। लेकिन अब स्थिति बदल चुकी है।

श्री मोदी ने कहा कि कैसे देश का बैकिंग सिस्टम बदला ये अपने आप में एक अध्ययन का विषय है। सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सुधारने की दिशा में बड़े कदम उठाए। उन्होंने कहा, “पिछले 10 साल में जो हुआ वो तो सिर्फ ट्रेलर है, अभी तो बहुत कुछ करना है। अभी तो हमें देश को बहुत आगे ले जाना है। बहुत जरूरी है कि हमारे पास अगले 10 का लक्ष्य स्पष्ट हो। अगले 10 साल के लक्ष्य को तय करते हुए हमें एक बात और ध्यान रखनी है, वह है भारत के युवाओं की आकांक्षायें। भारत आज दुनिया के सबसे युवा देश में से एक है इस युवा आकांक्षा को पूरा करने में रिजर्व बैंक का अहम रोल है।

उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में इनोवेशन का बहुत बड़ा महत्व रहने वाला है। सरकार इनोवेशन पर रिकॉर्ड निवेश कर रही है। उन्होंने कहा, “हमें कैशलेस इकोनॉमी से आ रहे बदलावों पर नजर रखनी होगी। इतनी बड़ी जनसंख्या की बैंकिंग जरूरतें भी अलग-अलग हो सकती है। कई लोगों को फिजिकल बैकिंग तो कई को डिजिटल बैकिंग पसंद हैं। देश को ऐसी नीति बनाने की जरूरत है जिससे लोगों को सुविधा हो। जिस देश की प्राथमिकता स्पष्ट हो उसे प्रोगेस करने से कोई नहीं रोक सकता है। हमने कोरोना के साथ सामान्य नागरिक के जीवन पर भी ध्यान दिया। यही वजह है कि भारत का सामान्य नागरिक भी भारत की अर्थव्यवस्था को गति दे रहा है, जबकि दुनिया के कई देश अभी इससे उबरने की कोशिश कर रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने पहचान, समाधान और पुनर्पूंजीकरण (थ्री आर) की रणनीति पर काम किया है। साथ ही सरकार ने हालत सुधारने के लिए 3.5 लाख करोड़ रुपये का पूंजी निवेश किया। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने शासन-संबंधी सुधार किए। दिवाला और दिवालियापन संहिता की नई प्रणालियों के साथ लगभग 3.25 लाख करोड़ रुपये के ऋणों का समाधान किया गया।

उन्होंने कहा कि 52 करोड़ जन धन बैंक खाते हैं और उनमें से 55 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के हैं। 7 करोड़ से अधिक किसान, मछुआरे और पशुपालकों के पास किसान क्रेडिट कार्ड हैं। हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत बड़ा बढ़ावा मिला है। पिछले 10 वर्षों में सहकारी क्षेत्र को भी भारी बढ़ावा मिला है। यूपीआई अब विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त मंच है। हर महीने 1200 करोड़ से अधिक यूपीआई लेनदेन हो रहे हैं।

इससे पहले उन्होंने कहा कि आज भारत का रिजर्व बैंक एक ऐतिहासिक पड़ाव पर पहुंचा है । आरबीआई ने अपने 90 साल पूरे किए हैं। एक संस्थान के रूप में आरबीआई आजादी के पहले और आजादी के बाद का गवाह है। श्री मोदी ने कहा, “ आज पूरी दुनिया में आरबीआई की पहचान उसके पेशेवर और वादे की वजह से बनी है। इस समय जो लोग आरबीआई से जुड़े हैं, उन्हें मैं बहुत सौभाग्यशाली मानता हूं। आज आप जो नीतियां बनाएंगे, जो काम करेंगे उनसे आरबीआई के अगले दशक की दिशा तय होगी। ये दशक इस संस्थान को उसके शताब्दी वर्ष तक ले जाने वाला दशक है और ये दशक विकसित भारत की संकल्प यात्रा के लिए भी उतना ही अहम है। आने वाला दशक इस संस्थान को इसकी शताब्दी वर्ष तक ले जाने वाला है। मैं आरबीआई को उसके लक्ष्यों और संकल्पों के लिए बधाई देता हूं।

इस मौके पर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि एक संस्था के रूप में आरबीआई का विकास भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है। एक केंद्रीय बैंक होने से लेकर मुख्य रूप से योजना अवधि के दौरान दुर्लभ संसाधनों के आवंटन के बाद आरबीआई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए एक समर्थक बन गया है।

इस मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधारी और वित्त राज्य मंत्री भवगत किशनराव कराड़ भी मौजूद थे।

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