फागिंग-कीटनाशक दवा बेअसर, डेंगू हुआ ताकतवर

जलजमाव, पनप रहा लार्वा, डेंगू मार रहा डंक, अस्पतालों में बेड फुल
       
जबलपुर: शहर में डेंगू लगातार पैर पसार रहा है। युवा, बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक इसके डंक का शिकार हो रहे है। डेंगू के छोटे डंक से बड़े खतरे से निपटने भले ही स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम, मलेरिया विभाग खुद को अलर्ट मोड में होने का दावा कर रहा हो लेकिन हकीकत यह है कि डेंगू का खात्मा करना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। जिसका मुख्य कारण यह है कि शहरी क्षेत्र के नाले-नालियों, प्लाटों, तालाबोंं से लेकर घरों- दफ्तरों के कूलरों में लार्वा पनप रहा है। जलजमाव में लार्वा के पनपने से  हालात ऐसे हो गए हैं कि मच्छरों का प्रकोप तेजी से बढ़ता जा रहा है और डेंगू के मच्छरों को मारने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाली कीटनाशक बेअसर साबित होने लगी हैं और डेंगू डंक मार लोगों को बीमार कर रहा है। डेंगू के   मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। निजी से लेकर शासकीय असपतालों में बेड फुल चल रहे है।

वर्षवार आंकड़े
वर्ष-डेंगू पॉजिटिव
2019- 393
2020- 39
2021- 781
2022- 139
2023- 188
2024- 135

आंकड़ों में भी बाजीगरी
सूत्रों की माने तो आंकड़ों में भी बाजीगरी चल रही है। संदिग्ध मरीज, संदिग्ध मौत कभी भी सरकारी रिकॉर्ड में नहीं जुड़ती है। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग और मलेरिया विभाग के आंकड़ों में भी अंतर सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक 2024 में जनवरी से अब तक 118 तो मलेरिया विभाग के अनुसार 135 मरीज मिले है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आंकड़ों में खेला हो रहा है।  इस साल अब तक डेंगू से पांच संदिग्ध मौतें हुई लेकिन सरकारी रिकॉर्ड में एक भी दर्ज नहीं है।

दावा: सुबह-शाम फागिंग-दवाईयों का छिडक़ाव
स्वास्थ्य अधिकारी संदीप जायसवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि शहर में बढ़ते मच्छरों के प्रकोप, डेंगू मलेरिया एवं मच्छर जनित अन्य संक्रामक बीमारियों को रोकने एवं विनिष्टिकरण के लिए नगर निगम द्वारा लगातार सघन छिडक़ाव अभियान चलाया जा रहा है। डेंगू नियंत्रण के लिए युद्ध स्तर पर दवा छिडक़ाव का कार्य कराया जा रहा है।

हकीकत: 17 टीमें, 23 मशीनें सडक़ों से गायब
कागजों में सुबह 17 टीमें और सायंकालीन 3 व्हीकल माउंटेन फॉगिंग मशीन एवं 20 पोर्टेबल फागिंग मशीन के माध्यम से फॉगिंग कार्य कराया जा गया है। दावा किया जाता है कि शहर के मुख्य चौराहों से लेकर स्कूल, कॉलेज, गलियों, मोहल्लों, दफ्तरों में कीटनाशक दवा छिडक़ाव एवं रुके हुए पानी में जला हुआ तेल डाला जा रहा है। वार्डो विभिन्न क्षेत्रों में फॉगिंग कार्य कराया जा रहा है लेकिन हकीकत यह है कि न तो यह टीमें दिखती है औऱ न मशीनेें।  जमीनी हकीकत में लगातार बढ़ रहे मरीज नगर निगम के दावों की पोल खोल रहे हैं।
यहां पनपते, 2 दिन में 180 अंडे देते
एडीजी प्रजातियां विशेष प्रकार के छोटे से मच्छर होते है। ये मच्छर 500 मीटर की दूरी तय कर सकते है। मादा मच्छर  हर दो दिन के अन्तराल मेें 80 से 180 अंडे देती है। ये दिन में ही काटते है। ये कूलरों, पानी एकत्रित करने वाले टेकों, बर्तनों, पुराने टायरों, फव्वारों, पौधों, फूलदानों, आदि स्थानों पर प्रजनन करते हैं।
ये हैं डेंगू बुखार के लक्षण-
तेज बुखार, सिरदर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द, मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द, जी मचलाना व उलटियां आना, थकावट महसूस होना, चमड़ी पर दाने व हालत खराब होने पर नाक, मुंह व मसूड़ों में खून बहना आदि शामिल है।
इनका कहना है
डेंगू के प्रकोप को रोकने लगातार दवाईयों का छिडक़ाव के साथ विनिष्टिकरण किया जा रहा है। इसके साथ ही जागरूक अभियान भी चल रहे है। दवाईयां असरदार है। लेकिन लोगों को भी जागरूक होना पड़ेगा। जलभराव न करे। सावधानी बरतें। जितने जागरूक होंगे उतने स्वस्थ्य होंगे।
संजय मिश्रा, सीएमएचओ

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