उज्जैन। भादो मास में निकलने वाली केवल आखरी सवारी ही शाही नही हो बल्कि महाकाल बाबा की प्रत्येक सवारी शाही होना चाहिए ,जो रचनात्मकता और नवाचार हमने किए गए हैं। वह देश विदेश से आए श्रद्धालुओं के मन को बहुत भा रहे हैं। यह बात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कही। उसके बाद अब छठी और आखरी सातवी सवारी में दो नए प्रकल्पों को सवारी में जोड़ा जा रहा है।
सावन में भगवान महाकाल की पांचों सवारी निकल चुकी है। अब भाद्रपद मास के 2 सोमवार को शेष सवारी निकाली जाएगी। यह दोनों सवारी विशेष होगी। छठी सवारी 26 अगस्त तो सातवीं सवारी 2 सितंबर को निकलेगी। अब तक आखिरी सवारी को ही शाही सवारी कहा जाता रहा है अब मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा है कि सभी सवारी शाही हो यह सुनिश्चित किया जाए।
लोक नृत्य की झलक दिखी सवारियों में
बाबा महाकाल की सवारी में इसके पूर्व जनजातियों के नृत्य आदि के आयोजन कभी भी नहीं हुए लेकिन इस बार मध्य प्रदेश के लोक नृत्यों की झलक देखने को मिल रही है। सीएम डॉ. मोहन यादव की पहल पर सवारी में अलग-अलग स्थानों से लोक नृत्य मंडलियों को शामिल किया जा रहा है। भक्त भी इस पहल से बहुत खुश नजर आ रहे हैं, उन्हें प्रदेश के नृत्यों को देखने का अवसर प्राप्त हो रहा है। जहां धार के घासी जनजाति के कलाकार घसिया बाजा नृत्य प्रस्तुति सवारी में हुई। वहीं परंपरागत नौ भजन मंडल, झांझ डमरू दल तथा विभिन्न वेशभूषा की मंडली भी सवारी में प्रस्तुति दे रही है।
इनका कहना है
मुख्यमंत्री की पहल पर लगातार प्रत्येक सवारी में नवाचार किया जा रहे हैं। अब छठी और अंतिम शाही सवारी बाकी है जिसमें अलग-अलग तरह के लोक नृत्य तो किया ही जायेंगे और क्या बढिय़ा प्रस्तुति हो सकती है उसके लिए हम एक-दो दिन में मीटिंग करेंगे जिसमें वरिष्ठ अधिकारी निर्णय लेंगे।
-मूलचंद जनवाल सहायक प्रशासक
पहले से पांचवीं तक नवाचार
महाकाल बाबा की 22 जुलाई को सावन माह की पहली सवारी निकली जिसमे धार के भील जनजाति कलाकारों ने भगोरिया नृत्य की प्रस्तुति दी। 29 जुलाई को दूसरी निकली जिसमें छिंदवाड़ा के लोक कलाकार भड़म नृत्य की प्रस्तुति दी गई। साथ ही 350 जवानों के पुलिस बैंड द्वारा भी प्रस्तुति दी गई। सावन मास के तीसरे सोमवार 5 अगस्त को निकली भगवान महाकाल की सवारी में निमाड़ अंचल के लोक कलाकार काठी नृत्य की प्रस्तुति देते निकले। इसके पश्चात 12 अगस्त 2024 सोमवार को महाकाल बाबा की चौथी सवारी निकली। जिसमें घासी जनजातीय घसिया बाजा नृत्य हुआ। बकबा, सिकरा, नचनी महुआ, गजरा बहरा, सिंगरावल आदि ग्रामों में निवासरत घसिया एवं गौंड जनजाति के कलाकरों द्वारा प्रस्तुति दी गई। 19 अगस्त को सावन मास की अंतिम सवारी निकली। जिसे पांचवी सवारी कहा गया। इसमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल समेत अनेक जनप्रतिनिधि और स्थानीय अधिकारी भी लाखों श्रद्धालुओं के साथ शामिल हुए। साथ ही नवाचार के तौर पर सीआरपीएफ और सेना का बैंड शामिल किया, जो पूरी सवारी में धून पर शिव स्तुति करता नजऱ आया। वहीं, गौंड जनजातीय करमा,सैला नृत्य दल अपनी कला का प्रदर्शन करता रहा।
1500 डमरू का रिकॉर्ड
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मनसा अनुसार महाकाल लोक स्थित शक्तिपथ पर 1500 डमरू वादकों ने प्रस्तुति देकर रिकॉर्ड बनाया। भगवान भोलेनाथ को डमरू बहुत प्रिय है। जिससे उज्जैन नगरी गूंज उठी। डमरू वादन के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हो गया। 26 अगस्त सोमवार को छठी सवारी में गौंड जनजाति ठातीया नृत्य द्वारा प्रस्तुति दी जाएगी। जिसमें बैतूल से अविनाश धुर्वे के साथ 30 सदस्यीय दल आएगा। इसी तरह 2 सितंबर सोमवार को अंतिम शाही सवारी निकलेगी जिसमें ढूलिया जनजातीय गुदुमबाजा नृत्य की प्रस्तुति दी जाएगी। जिसमें दिनेश भारवे डिंडोरी, से 30 सदस्यीय दल लाएंगे,और लामूलाल धुर्वे भी 30 सदस्यीय दल अनूपपुर से उज्जैन की शाही सवारी में लाएंगे।