पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में हाल ही में महिलाओं के साथ दुष्कर्म की दर्दनाक वारदात हुई हैं. इनमें भी पश्चिम बंगाल की डॉक्टर बेटी की घटना जघन्यतम है. इस मामले में पश्चिम बंगाल सरकार ने जो भूमिका निभाई है वो निहायत ही अमानवीय है. खासतौर पर ममता बनर्जी तृणमूल कांग्रेस के गुंडे किस्म के कार्यकर्ताओं को जिस तरह से संरक्षण देती हैं वो उनके जैसी संघर्षशील और सादगी पसंद नेता को सूट नहीं करता. संदेश खली के बाद कोलकाता की दुष्कर्म की वारदात ने यह साबित किया कि शायद ममता बनर्जी की ममता केवल अपनी पार्टी के अपराधी किस्म के नेताओं के लिए ही है. पूरे मामले से साफ है कि पश्चिम बंगाल की सरकार इस घटना को छिपाना और दबाना चाहती है. कोलकाता की डॉक्टर बेटी के साथ जो कुछ हुआ उससे पूरा देश उद्वेलित है. खासतौर पर देश भर के डॉक्टर जबरदस्त आक्रोश में हैं. स्थिति इतनी खराब है कि तृणमूल कांग्रेस के ही कुछ नेता अपनी पार्टी पर उंगली उठा रहे हैं.तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुखेन्दु शेखर राय, डॉक्टर की बर्बर हत्या के विरोध में हुए प्रोटेस्ट में शामिल हुए. सुखेन्दु शेखर राय ने कहा कि कोलकाता पुलिस किसी काम की नहीं हैं, पुलिस ने इस केस में लापरवाही की, सबूतों के साथ छेड़छाड़ की. राय ने कहा कि जो पुलिस तीन दिन के बाद घटनास्थल पर डॉग स्क्वायड के साथ पहुंची हो, उस पुलिस से क्या उम्मीद की जाए.दरअसल, डॉक्टर की हत्या के विरोध में इस वक्त भी पूरे देश में प्रदर्शन जारी हैं.डॉक्टर्स ने कई राज्यों में कैंडल मार्च निकाला, राजनीतिक दलों ने प्रोटेस्ट किया. अब सबसे ज्यादा नाराजगी इस बात को लेकर है कि अब तक ममता बनर्जी ने आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप घोष के खिलाफ कोई एक्शन क्यों नहीं लिया?कोलकाता पुलिस ने संदीप घोष से पूछताछ करना भी जरूरी नहीं समझा.पश्चिम बंगाल की सरकार ने संदीप घोष के हटाने के बजाए उसका ट्रांसफर करके नेशनल मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया था. हालांकि सीबीआई ने इस केस की जांच शुरू कर दी है, डॉक्टर की हत्या के आरोपी संजय रॉय को अपनी हिरासत में ले लिया गया.अब सीबीआई उन सारे लोगों से पूछताछ कर रही है जो उस रात हॉस्पिटल में मौजूद थे,जब डॉक्टर की हत्या हुई. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि ममता की पुलिस ने इस जघन्य हत्या को पहले आत्महत्या , फिर अप्राकृतिक मौत क्यों कहा, पुलिस ने सबूतों को मिटाने की कोशिश क्यों की, ममता की सरकार में वो कौन है जो प्रिंसिपल संदीप घोष को बचाने की कोशिश कर रहा है.संदीप घोष ऐसा कौन सा राज़ जानते हैं जिसके कारण तमाम केसों में शिकायत होने के बाद भी डॉक्टर घोष के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ? संदीप घोष पर सवाल उठने की एक नहीं, कई वजहें हैं. पहली तो ये कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के तौर पर इस पूरे मामले को दबाने की कोशिश की, हत्या को आत्महत्या का रंग देने की कोशिश की. दूसरा, डॉक्टर संदीप घोष का पुराना ट्रैक रिकॉर्ड भी काफी गड़बड़ है लेकिन अपनी राजनीतिक पहुंच के कारण संदीप घोष के खिलाफ कभी कोई एक्शन नहीं हुआ. बहरहाल,पश्चिम बंगाल की घटना कितनी गंभीर है यह इसी से समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री ने अपने 15 अगस्त के संबोधन में इसका उल्लेख किया. सिर्फ पश्चिम बंगाल ही नहीं, पिछले कुछ वर्षों से पूरे देश में महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ रहे हैं. ऐसा तब हो रहा है जब, कमोबेश सभी राज्यों ने महिला अत्याचारों के खिलाफ कड़े कानून बनाए हैं. दिल्ली के निर्भया हत्याकांड के बाद महिला अत्याचार के खिलाफ कानूनों में संशोधन कर उन्हें सख्त बनाया गया है. पिछले दिनों केंद्र सरकार ने भी जो अपराध संहिता संशोधित की है उसमें भी महिला अपराध के मामले में कठोर दंड के प्रावधान है.इसके बावजूद महिलाओं के खिलाफ अपराध कम होने का नाम नहीं ले रहे हैं,यह चिंता का विषय है. इस मामले में समाज शास्त्रियों और अपराध विशेषज्ञों को सोचना चाहिए. कामकाजी महिलाओं को सुरक्षित माहौल मिले इसके प्रयास सरकारी और निजी दोनों स्तरों पर होनी चाहिए. महिला सुरक्षा के विषय पर व्यापक विमर्श और सामाजिक आंदोलन की जरूरत है. इसके लिए सरकारी और गैर सरकारी दोनों तरीकों से प्रयास होने चाहिए. कुल मिलाकर महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों को रोकने के हर संभव प्रयास होने ही चाहिए.
महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध
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